नई दिल्ली: अखिलेश यादव ने एक मस्जिद में मीटिंग की। जिस पर सियासी घमासान छिड़ गया। मामला यहां तक जा पहुंचा कि- बीजेपी ने अखिलेश और समाजवादी पार्टी को नमाजवादी तक बता दिया। जिसका पलटवार करने में अखिलेश ने भी देरी नहीं की।
दरअसल, दिल्ली के संसद भवन के पास एक मस्जिद की तस्वीर के सोशल मीडिया में सामने आते ही सियासी बखेड़ा शुरू हो गया है। इस तस्वीर में कई किरदार नजर आ रहे हैं। तस्वीर में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव, यूपी के रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी, अखिलेश के चचेरे भाई और आजमगढ़ से सांसद धर्मेंद्र यादव ,संभल सीट से सांसद जियाउर्रहमान बर्क, अखिलेश यादव की पत्नी और समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव हैं। सोशल मीडिया में जैसे ही तस्वीर वायरल हुई बीजेपी ने समाजवादी पार्टी पर हमला करने में कोई देर नहीं की। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने X पर पोस्ट कर अखिलेश यादव पर मस्जिद में मीटिंग करने का आरोप लगाया। साथ ही ये ऐलान कर दिया कि- 25 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद यहां बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की बैठक होगी। इधर बीजेपी ने अखिलेश को नमाजवादी बता दिया।
बीजेपी ने इस तस्वीर के बहाने अखिलेश और समाजवादी पार्टी पर आरोपों की झड़ी लगाई। तो सपा ने भी पलटवार करने में देर नहीं की। उन्होंने मस्जिद में बैठक को लेकर ना तो इनकार किया और ना ही स्वीकार किया, लेकिन सभी धर्मों में आस्था रखने की बात कहते हुए बीजेपी पर दूरियां बढ़ाने का आरोप मढ़ दिया। कुलमिलाकर कांवड़ियों को लेकर मचे सियासी कोहराम के बीच यूपी की राजनीति में अब मस्जिद मीटिंग की एंट्री हो गई है। एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी इसे आस्था से जोड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी निशाना साध रही है कि अखिलेश को सिर्फ नमाजवादी पसंद हैं, लेकिन सवाल है कि महज एक बैठक पर हिंदू-मुस्लिम की जंग क्यों?