मौसम के खतरों को रोक नहीं सकते, लेकिन बेहतर योजना से नुकसान कम कर सकते हैं: राज्यपाल

मौसम के खतरों को रोक नहीं सकते, लेकिन बेहतर योजना से नुकसान कम कर सकते हैं: राज्यपाल

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  • Publish Date - October 31, 2022 / 04:42 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

लखनऊ, 31 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को मौसम विज्ञान की समाज के लिए उपयोगिता बताते हुए कहा कि हम मौसम के खतरों को रोक नहीं सकते, लेकिन बेहतर तैयारी और योजना के साथ हम निश्चित रूप से नुकसान को कम कर सकते हैं।

आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को यहां अमौसी में भारत मौसम विज्ञान विभाग, मौसम केंद्र, लखनऊ के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करने के बाद आयोजित समारोह को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि मौसम विज्ञान समाज के लिए विज्ञान के प्रत्यक्ष लाभ का एक बेहतरीन उदाहरण है और आज की दुनिया में शायद ही कोई ऐसा तत्व हो जो मौसम और जलवायु के प्रभाव से अछूता हो।

उन्‍होंने कहा कि विज्ञान और प्राचीन भारतीय ज्ञान का सममिलन समाज की विभिन्न समस्याओं का व्यवहारिक समाधान ला सकता है।

राजभवन से जारी बयान के अनुसार उन्‍होंने कहा कि तेजी से बदलते परिवेश ने भूमंडलीय तापमान में बढ़ोतरी, मौसमी चक्र में बदलाव, कहीं सूखा तो कहीं अधिक वर्षा, ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी आदि के रूप में कठिन परिस्थितियों को जन्म दिया है।

पटेल ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार की जल-मौसम संबंधी प्राकृतिक आपदाएं होती रहती हैं, जो न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं, बल्कि जनसामान्य की आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

गुजरात की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि गुजरात राज्य चक्रवात, गर्म हवा (लू), भारी वर्षा, सूखा, बाढ़ आदि जैसी अनेक गम्भीर मौसम आपदाओं एवं चुनौतियों का सामना करता है, लेकिन अब मौसम वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से पूर्व में प्रसारित सूचनाओं एवं संकेतो से इन आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

कार्यक्रम में राज्यपाल को पुस्तक और पौधा भेंट किया गया। इस अवसर पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, नयी दिल्ली स्थित भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र, लखनऊ के मौसम केन्द्र के प्रमुख जेपी गुप्ता, मौसम विभाग के वैज्ञानिक, अधिकारी एवं कर्मचारी गण उपस्थित थे।

भाषा आनन्द

संतोष

संतोष