गोरखपुर। Fake IAS officer फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर करोड़ों की ठगी करने वाले शातिर आरोपी गौरव कुमार सिंह उर्फ ललित किशोर को गोरखपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी की असलियत सामने आने के बाद उसके कारनामे पुलिस को भी हैरान कर रहे हैं। बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला यह युवक एमएससी करने के बाद कोचिंग शिक्षक बना था, लेकिन ‘कुछ बड़ा करने’ के जुनून में उसने फर्जी पहचान बनाकर ठगी का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया।
पुलिस के अनुसार गौरव दो जिंदगी जी रहा था, एक तरफ कोचिंग व ट्यूशन पढ़ाना और दूसरी तरफ फर्जी IAS अधिकारी की तरह रौब झाड़ना। वह सफेद इनोवा कार पर लाल-नीली बत्ती लगाकर गांव-गांव दौरा करता था। उसके साथ हमेशा कई लोग मौजूद रहते, जिससे अधिकारियों जैसी प्रोफाइल का आभास होता। एक बार बिहार के भागलपुर में दौरे के दौरान उसकी मुलाकात एक असली एसडीएम से हुई। रैंक और बैच से जुड़े सवाल पूछे जाने पर गौरव बौखला गया और उसने एसडीएम पर हाथ उठा दिया। हैरानी की बात यह रही कि एसडीएम ने इसकी शिकायत नहीं की।
Fake IAS officer बिहार चुनाव के दौरान पकड़े गए ₹99 लाख की रकम की जांच में उसके खिलाफ सुराग मिला। गोरखपुर पुलिस ने सर्विलांस और तकनीकी जांच के आधार पर गौरव को गिरफ्तार किया। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने एआई की मदद से फर्जी दस्तावेज, सरकारी पहचान पत्र और टेंडर फाइलें तैयार कर व्यवसायियों और बिल्डरों से करोड़ों रुपये ठगे। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने निजी रिश्तों के आधार पर भी लोगों को धोखा दिया। उसके मोबाइल से मिली चैटिंग के आधार पर पुलिस का दावा है कि उसकी कई महिलाओं से नजदीकियां थीं, जिसमें कुछ मामलों की जांच पुलिस कर रही है।
पुलिस के अनुसार आरोपी ने एक व्यवसायी को 450 करोड़ के सरकारी टेंडर का झांसा देकर 5 करोड़ रुपये और दो इनोवा कारें ले ली थीं। फर्जी आईडी कार्ड, नेम प्लेट और सिविल सेवा से जुड़े दस्तावेज उसके साले अभिषेक ने तैयार किए थे, जिसने सॉफ्टवेयर की पढ़ाई की है। गौरव यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में फैले नेटवर्क के जरिए लोगों को सरकारी नौकरी और टेंडर दिलाने का दावा करता था। पुलिस अब इन राज्यों की एजेंसियों के साथ मिलकर नेटवर्क की जांच कर रही है।
गौरव ने 2019 में मैथ्स से एमएससी की डिग्री हासिल की थी। उसने ‘आदित्य सुपर 50′ नाम से कोचिंग शुरू की, जहां उसने एक छात्रा से नौकरी दिलाने के नाम पर 2 लाख रुपये लिए। नौकरी न देने पर 2022 में पहली FIR दर्ज हुई। जमानत के बाद वह करीब एक साल अंडरग्राउंड रहा और इसी दौरान उसने शादी का झांसा देकर एक युवती से मंदिर में विवाह भी कर लिया। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि आरोपी एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है और उसके मोबाइल व दस्तावेजों की जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। पुलिस अब बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर पूरे गिरोह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।