Shri Krishna Janmabhoomi Case : मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान व शाही मस्जिद ईदगाह मामले में कल यानी 22 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। इस मामले में अब हिंदू पक्ष नियमों को अपना हथियार बनाकर अपना पक्ष सामने रखने वाला है। आपको बता दें कि हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही मस्जिद ईदगाह की संपत्ति नहीं है, दूसरे इसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित किया है, ऐसे में इस पर उपासना स्थल अधिनियम लागू नहीं होता है। इसी बिंदु पर अब हाई कोर्ट में हिंदू पक्ष अपनी बहस करेगा।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह मामले में अब तक करीब 20 वाद दायर हो चुके हैं। इनकी सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही है। हिंदू पक्ष शाही मस्जिद ईदगाह को श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से हटाने की मांग कर रहा है। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी का कहना है कि ये वक्फ अधिनियम और उपासना स्थल अधिनियम के चलते ये वाद चलने लायक ही नहीं है। इसलिए इसे खारिज किया जाए। इन्हीं मुद्दों पर हिंदू पक्ष हाई कोर्ट में बहस करेगा।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले से जुड़े एक मुकदमे में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना है कि उन्होंने आरटीआई से पूर्व में एक सूचना वक्फ बोर्ड से मांगी थी। इसमें पता चला कि वक्फ बोर्ड ने कभी शाही मस्जिद ईदगाह का सर्वे ही नहीं किया। सर्वे न होने के कारण इसे वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं माना जाएगा।
Shri Krishna Janmabhoomi Case : हिंदू पक्षकार के अधिवक्ता रीना सिंह का कहना है कि मामले को उलझाने और मुस्लिम पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए गलत तरीके से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याची बनकर कुछ लोग सामने आए, जिनका विरोध किया गया। सुनवाई की अगली डेट 22 फरवरी तय की गई है। बता दें कि पूरा मामला हाई कोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में चल रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा श्री कृष्ण जन्म स्थान वह शाही ईद का मामले में कमिश्नर सर्वे के लिए आदेश जारी किया था, लेकिन कमिश्नर सर्वे में नामों के चयन से पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट से रोक लग गयी थी।