Will Modi government amend the constitution? || Image- विकिपीडिया file
नई दिल्ली: Will Modi government amend the constitution?: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि ‘भारत में समाजवाद की कोई आवश्यकता नहीं है’, साथ ही उन्होंने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का मूल नहीं है’। चौहान की टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) ने बृहस्पतिवार को संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान करते हुए कहा था कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और ये कभी भी डॉ बी आर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे।
आपातकाल के 50 साल पूरे होने के अवसर पर वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में चौहान ने कहा, ‘‘भारत में समाजवाद की जरूरत नहीं है… धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है और इस पर जरूर विचार होना चाहिए।’’ आपातकाल लागू होने के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों पर चर्चा का आह्वान किया था।
उन्होंने कहा था, ‘संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े गए थे। इस पर चर्चा होनी चाहिए कि उन्हें रहना चाहिए या नहीं।’ उन्होंने कहा कि ये शब्द मूल रूप से संविधान में नहीं थे। (Will Modi government amend the constitution?) समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने के सुझाव के लिए भाजपा और आरएसएस की आलोचना की।
चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘ये बयान केवल यह साबित करते हैं कि संघ-भाजपा लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते और संविधान को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।’ कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख अजय राय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘इस तरह के बयान वास्तव में उस बात की पुष्टि करते हैं जो हम लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि आरएसएस-भाजपा का संविधान में कोई विश्वास नहीं है। यह देश सभी का है। कांग्रेस हर कीमत पर संविधान की रक्षा करेगी।’
आपातकाल के दिनों को याद करते हुए चौहान ने कहा कि अपनी सत्ता बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था। केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा, ‘न तो बाहरी सुरक्षा को खतरा था, न ही आंतरिक सुरक्षा को। खतरा सिर्फ प्रधानमंत्री की कुर्सी को था, इसलिए 25 जून 1975 की रात को बिना कैबिनेट बैठक किए देश में आपातकाल घोषित कर दिया गया।’
उन्होंने कहा,’ उस समय मेरी उम्र सिर्फ 16 साल थी और मुझे भी डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स के तहत गिरफ्तार कर जेल ले जाया गया था। आज भी उन काले दिनों को याद करके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आपातकाल के दौरान तुर्कमान गेट पर मकान तोड़ने का उन्माद होता था तो जनता को बुलडोजर से कुचल दिया जाता था। (Will Modi government amend the constitution?) अगर कोई विरोध करता था तो उसे गोलियों से छलनी कर दिया जाता था। यह जनता पर गोलियां नहीं, बल्कि संविधान की हत्या थी।’ उन्होंने कहा कि कोई अपील नहीं, कोई वकील नहीं, कोई दलील नहीं, यह संविधान की हत्या थी, सभी नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे।
Will Modi government amend the constitution?: उन्होंने कहा, ‘प्रेस की स्वतंत्रता पर ताला लगाना संविधान की हत्या है, न्यायालय के अधिकारों को कम करना, उसे अप्रभावी बनाना यह संविधान की हत्या है। पूरे देश को जेल बना देना – यह संविधान की हत्या है। सभी विपक्षी दलों और यहां तक कि छात्रों को भी जेलों में डाल दिया गया। कांग्रेस संविधान की हत्यारी है।’ कांग्रेस पर हमला करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘कांग्रेस को संविधान की प्रति रखने का अधिकार नहीं है। वे काले दिन आज भी याद किए जाते हैं। तानाशाही कांग्रेस के डीएनए में है। जो लोग संविधान की प्रति हाथ में लेकर घूमते हैं, उन्हें जवाब देना होगा।’
कांग्रेस को नसीहत देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री का पद भी संभाल रहे चौहान ने कहा, ‘कांग्रेस को अगर लोकतंत्र सीखना है तो उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीखना चाहिए। (Will Modi government amend the constitution?) भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र की भावना का सम्मान करती है, लेकिन कांग्रेस ने जो किया, उसके लिए मैं फिर से दोहरा रहा हूं कि उन्हें अपनी नाक रगड़नी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए कि उन्होंने यह ऐतिहासिक गलती की है।’ उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकतंत्र में दृढ़ विश्वास रखते हैं और इसीलिए स्वतंत्र भारत में संविधान दिवस मनाने का काम हो रहा है।’’