प्रत्येक वर्ष ‘स्टिलबर्थ’ के 20 लाख मामले, महामारी से बिगड़ सकते हैं हालात

प्रत्येक वर्ष ‘स्टिलबर्थ’ के 20 लाख मामले, महामारी से बिगड़ सकते हैं हालात

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  • Publish Date - October 8, 2020 / 07:54 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

लंदन,आठ अक्टूबर (एपी) विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और उनके सहयोगियों ने कहा है कि प्रत्येक वर्ष करीब 20 लाख शिशु मृत पैदा (स्टिलबर्थ) होते हैं और ये मामले ज्यादातर विकासशील देशों से जुड़े हैं। बृहस्पतिवार को प्रकाशित रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

गर्भाधान के 28 हफ्ते या उसके बाद मृत शिशु के पैदा होने अथवा प्रसव के दौरान शिशु की मौत हो जाने को ‘स्टिलबर्थ’ कहते हैं।

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि पिछले वर्ष उप-सहारा अफ्रीका अथवा दक्षिण एशिया में चार जन्म में से तीन ‘स्टिलबर्थ’ थे।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की कार्यकारी निदेशक हैनरिटा फोर ने कहा, ‘‘प्रत्येक 16 सेकेंड में कहीं कोई मां ‘स्टिलबर्थ’ की पीड़ा झेलेगी।’’

उन्होंने कहा की बेहतर निगरानी, प्रसव पूर्व अच्छी देखभाल और सुरक्षित प्रसव के लिए पेशेवर चिकित्सक की सहायता से ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि कोविड-19 महामारी से ये वैश्विक आंकडे बढ़ सकते हैं। इसमें कहा गया है संक्रमण के कारण स्वास्थ्य सेवाएं 50 प्रतिशत तक घटी हैं और इसके परिणामस्वरूप अगले वर्ष 117 विकासशील देशों में 2,00,000 और ‘स्टिलबर्थ’ हो सकते हैं।

डब्लूएचओ ने कहा कि ‘स्टिलबर्थ’ के 40 प्रतिशत से अधिक मामले प्रसव के दौरान के हैं और अगर महिलाएं दक्ष स्वास्थ्य कर्मियों की मदद से सुरक्षित प्रसव कराए तो ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।

उप-सहारा अफ्रीका और मध्य एशिया में ‘स्टिलबर्थ’ के करीब आधे मामले प्रसव के दौरान के हैं वहीं यूरोप, उत्तर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में इसके छह प्रतिशत मामले हैं।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक विकासित देशों में जातीय अल्पसंख्यकों में ‘स्टिलबर्थ’ के मामले ज्यादा होते हैं। उदाहरण के तौर पर कनाडा में इन्यूइट समुदाय की महिलाओं में पूरे देश के मुकाबले ‘स्टिलबर्थ’ के मामले तीन गुना ज्यादा होते हैं।

एपी

शोभना शाहिद

शाहिद