एअर इंडिया हादसा: ब्रिटेन के परिवारों को डीएनए मिलान वाले अवशेषों के बारे में नयी जानकारी का इंतजार

एअर इंडिया हादसा: ब्रिटेन के परिवारों को डीएनए मिलान वाले अवशेषों के बारे में नयी जानकारी का इंतजार

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  • Publish Date - August 2, 2025 / 03:36 PM IST,
    Updated On - August 2, 2025 / 03:36 PM IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, दो अगस्त (भाषा) अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए लंदन जाने वाले एअर इंडिया 171 विमान में सवार रिश्तेदारों के अवशेषों का इंतजार कर रहे ब्रिटिश परिवारों को भारत-ब्रिटेन सरकार की उच्च स्तरीय वार्ता के बाद डीएनए मिलान की पुष्टि की उम्मीद है। उनकी कानूनी टीम ने यह जानकारी दी।

कानूनी परामर्श प्रदाता कीस्टोन लॉ, जो 12 जून की दुर्घटना में अपने प्रियजनों को खोने वाले अनेक परिवारों की सहायता के लिए विमानन विशेषज्ञों के साथ काम कर रहा है, ने इस सप्ताह इस प्रक्रिया में तेजी लाने का आह्वान किया।

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान ‘डाउनिंग स्ट्रीट’ (ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आवास सह कार्यालय) ने पुष्टि की थी कि प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान एअर इंडिया विमान दुर्घटना पर चर्चा की थी। यह चर्चा ब्रिटेन की मीडिया में आई उस खबर की पृष्ठभूमि में हुई थी जिसमें कहा गया था कि ब्रिटेन भेजे गए कुछ शवों पर गलत लेबल लगे थे।

कीस्टोन लॉ के एविएशन पार्टनर जेम्स हीली-प्रैट ने कहा, “इस समस्या के अंतरराष्ट्रीय मीडिया कवरेज के परिणामस्वरूप, ब्रिटेन और भारत की सरकारों ने उच्च स्तरीय वार्ता की है।”

उन्होंने कहा, “ऐसा माना जा रहा है कि कुछ मेल खाते डीएनए अवशेष अब भारत में पाए गए हैं। पुष्टि की प्रतीक्षा है।”

इस दुर्घटना में मारे गए 241 यात्रियों और चालक दल में 52 ब्रिटिश नागरिक शामिल थे, तथा अंतिम संस्कार के लिए ब्रिटेन भेजे गए 12 ताबूतों में से दो ( के अवशेषों) की पहचान गलत पाई गई थी।

इस मामले की व्यापकता के अनुमान को लेकर पूछे जाने पर, कीस्टोन लॉ ने कहा कि भारत से ब्रिटेन भेजे गए 12 ताबूतों के अवशेषों में से दो पर “गलत लेबल लगा हुआ था, गलत तरीके से रखा गया था और गलत पहचान की गई थी।”

हीली-प्रैट ने कहा, “यदि इस त्रुटि दर को आगे बढ़ाकर देखा जाए — यानी 15 प्रतिशत की अस्वीकार्य गलती दर को ध्यान में रखा जाए — तो यह संकेत मिलता है कि लगभग 40 शवों की पहचान, लेबलिंग या देखभाल में गलती हो सकती है। यह एक ज्ञात-अज्ञात तथ्य है, और इनमें से कई परिवारों के प्रियजनों का पहले ही अंतिम संस्कार किया जा चुका है।”

भाषा प्रशांत पवनेश

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