लंदन, 23 मई (एपी) बर्नडेट दुगासे जब बच्ची ही थीं तब उनके परिवार को उनका जन्मस्थान चागोस द्वीप छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उन्हें दादी बनने तक वहां वापस लौटने का मौका नहीं मिला और वह वहां गयीं तो भी बस घूमने के लिए।
दुगासे (68) ने अपना अधिकांश जीवन सेशेल्स और ब्रिटेन में बिताया है। हिंद महासागर के द्वीपों के सैकड़ों अन्य मूल निवासियों की तरह दुगासे को भी आधी सदी से भी पहले तब उनके मूल निवास स्थान से निकाल दिया गया था, जब ब्रिटिश और अमेरिकी सरकारों ने वहां एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा बनाने का फैसला किया था।
‘घर लौटने’ के अधिकार के लिए वर्षों तक संघर्ष करने के बाद, दुगासे और अन्य विस्थापित द्वीपवासियों ने बृहस्पतिवार को तब निराशा ही नजर आयी, जब ब्रिटेन की सरकार ने घोषणा की कि वह चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता औपचारिक रूप से मॉरीशस को हस्तांतरित कर रही है।
भले ही, राजनीतिक नेता अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और भूराजनीति के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन इस समझौते का चागोसवासियों के लिए केवल एक ही अर्थ था: कि अपने मूल निवास स्थान में वापस जाकर रहने की संभावना अब पहले से कहीं अधिक दूर लगती है।
दुगासे ने कहा, ‘‘हम मूल निवासी हैं। हम वहीं के हैं।’’
वह अनिच्छा से लंदन के दक्षिण में एक शहर क्रॉले में बस गयी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे मुझे गुस्सा आया क्योंकि मैं घर जाना चाहती हूं।’’
एपी
राजकुमार प्रशांत
प्रशांत