ओली ने संसद भंग करने का किया बचाव, कहा- अदालतें प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकती

ओली ने संसद भंग करने का किया बचाव, कहा- अदालतें प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकती

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  • Publish Date - June 17, 2021 / 01:30 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:27 PM IST

( शिरीष बी प्रधान )

काठमांडू, 17 जून (भाषा) नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने प्रतिनिधि सभा को भंग करने के अपनी सरकार के विवादास्पद फैसले का बृहस्पतिवार को बचाव किया और उच्चतम न्यायालय से कहा कि प्रधानमंत्री नियुक्त करने का काम न्यायपालिका का नहीं है क्योंकि वह देश के विधायी और कार्यकारी कार्य नहीं कर सकती।

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली (69) की सिफारिश पर पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया और 12 तथा 19 नवंबर को चुनाव कराने की घोषणा की। उच्चतम न्यायालय को अपने लिखित जवाब में ओली ने कहा कि प्रधानमंत्री नियुक्त करने का कार्य न्यायपालिका का नहीं है क्योंकि वह विधायिका और कार्यपालिका का काम नहीं करा सकती। न्यायालय ने नौ जून को प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति कार्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा था।

शीर्ष अदालत को बृहस्पतिवार को अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के जरिए ओली का जवाब मिल गया। ओली ने कहा, ‘‘अदालत का कार्य संविधान और मौजूदा कानूनों को परिभाषित करना है क्योंकि वह विधायी या कार्यकारी संस्थाओं की भूमिका नहीं निभा सकती है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति पूरी तरह राजनीतिक और कार्यपालिका की प्रक्रिया है।’’

प्रधानमंत्री ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत हारने के बाद अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ओली ने कहा, ‘‘दलों के आधार पर सरकार बनाना संसदीय प्रणाली की मूलभूत विशेषता है और संविधान में पार्टी विहीन प्रक्रिया के बारे में उल्लेख नहीं है। ’’

उन्होंने समूचे मामले में राष्ट्रपति की भूमिका का भी बचाव करते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 76 केवल राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद 76 (5) के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि सदन में विश्वासमत जीतने या हारने की प्रक्रिया की विधायिका या न्यायपालिका द्वारा समीक्षा की जाएगी।’’

प्रतिनिधि सभा को भंग किए जाने के खिलाफ 30 से ज्यादा रिट याचिकाएं दायर की गयी हैं। इनमें से कुछ याचिकाएं विपक्षी गठबंधन ने भी दायर की है। उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई शुरू की है और 23 जून से मामले पर नियमित सुनवाई होगी।

सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में सत्ता को लेकर गतिरोध के बीच देश में राजनीतिक संकट की शुरुआत पिछले साल 20 दिसंबर को हुई थी, जब प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को चुनाव कराने की घोषणा की। फरवरी में शीर्ष अदालत ने प्रतिनिधि सभा को फिर से बहाल कर दिया था।

भाषा आशीष सुभाष

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