पटना। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (बीएसयूएससी) की ओर से निकाली गई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती रद्द हो गई है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के 12 विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 4638 पदों पर निकाली गई भर्ती के विज्ञापन को रद्द कर दिया। इस भर्ती में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
बता दें कि 4638 पदों के विज्ञापन में 1223 पद समान्य श्रेणी के लिए रखे गए जबकि बाकी सीट को आरक्षित श्रेणी में रख दिया गया जबकि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं दिया जा सकता। इससे पहले कोर्ट ने जनवरी माह में इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने दिसंबर में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को अगले आदेश तक किसी को नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का आदेश दिया था। तब भी राज्य सरकार कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई थी।
इस आदेश के बाद शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे बिहार के विश्वविद्यालय और कॉलेजों को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। यहां पहले की तरह नियुक्ति प्रक्रिया में एक बार फिर देरी होगी। विश्वविद्यालयों के कई विभाग ऐसे हैं जो कि बिना किसी शिक्षक या सिर्फ एक या दो टीचरों से चल रहे हैं।
वहीं न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की पीठ ने डॉ. अमोद प्रबोधी की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पहले से नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को इस शर्त पर राहत दी कि उन्हें रोस्टर तैयार होने के बाद निर्धारित प्रावधानों के अनुसार बैकलॉग वैकेंसी में एडजस्ट कर दिया जाएगा। भर्ती का नए सिरे से विज्ञापन निकालना होगा। कोर्ट ने कहा, ‘बैकलॉग वैकेंसी के लिए जिस तरह से आरक्षण तय किया गया है, वह फिलहाल सही नहीं है।’
आपको बता दें कि बीएसयूएससी ने विधानसभा चुनावों से ऐन पहले 23 सितंबर 2020 को 52 विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 4638 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। आयोग इस भर्ती के 52 विषयों में से 29 विषयों के इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी कर चुका है। कोर्ट का आदेश ऐसे समय पर आया है जब उन विषयों के इंटरव्यू शुरू होनें हैं जिनमें अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया है।
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