Vande Bharat: बिहार की प्रचंड जीत से बढ़ा BJP का आत्मविश्वास, क्या अब बंगाल में बदलेगा सियासी खेल?

Bihar Election Result 2025: बिहार की प्रचंड जीत से बढ़ा BJP का आत्मविश्वास, क्या अब बंगाल में बदलेगा सियासी खेल?

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  • Publish Date - November 15, 2025 / 12:22 AM IST,
    Updated On - November 15, 2025 / 12:22 AM IST

Bihar Election Result 2025

HIGHLIGHTS
  • बिहार की ऐतिहासिक जीत से BJP–NDA को पश्चिम बंगाल और असम चुनाव के लिए मिला बड़ा “बूस्टर डोज़”
  • बंगाल में SIR और घुसपैठियों का मुद्दा भाजपा की मुख्य रणनीति बनने के संकेत
  • विपक्ष बिहार के नतीजों से हताश, आने वाली चुनौतियों के लिए रणनीति अस्पष्ट

पटना: Bihar Election Result 2025 सियासी जंग में हर जीत नया हौसला देती है और अगर जीत बिहार जैसी हो तो कहना ही क्या इस बार NDA को बिहार में मिली ऐतिहासिक जीत। आने वाले कई चुनावों के लिए असकारक संकेत दे रही है। एनडीए के लिए आने वाले कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल और असम समेत बाकी राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ये बड़ा बूस्टर डोज साबित हो सकता है।

Bihar Election Result 2025 इस बयान में भविष्य की राजनीति के संकेत छिपे हैं। अगले साल मार्च से लेकर मई के बीच जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनमें असम, केरल, तमिलनाडू और केरल के अलावा पश्चिम बंगाल भी शामिल है। पश्चिम बंगाल में पिछले 14 सालों से सत्तासीन ममता बनर्जी को बेदखल करके वहां भगवा लहराना भाजपा का वो सपना है जो वो अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद पूरा नहीं कर पा रही है। हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 40 में से 18 सीटें जीतकर भरोसा जगाया था कि वो विधानसभा चुनाव में भी टीएमसी का किला ढहा देगी, लेकिन वो ऐसा करने में नाकाम रही। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव की प्रचंड जीत ने भाजपा को नया हौसला दिया है और इसी हौसले की बदौलत अब वो पश्चिम बंगाल में भी कमल खिलाने का दावा कर रही है।

भाजपा नेताओं का ये दावा नाहक नहीं है। हालांकि हर राज्य का सियासी मिजाज जुदा होता है लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जो दोनों ही राज्यों के सियासी तासीर के लिहाज से एक समान नजर आता है और ये मुद्दा है मुस्लिम घुसपैठियों का। बिहार में वोटर लिस्ट के अपडेशन की प्रक्रिया SIR अब पश्चिम बंगाल में भी होने जा रही है। एसआईआर के विरोध को भाजपा ने मुस्लिम घुसपैठियों से जोड़कर विपक्षी दलों को मुस्लिम परस्त साबित करके जो ध्रुवीकरण किया था, उसका असर चुनावी नतीजों में साफ दिखाई दे रहा है। पश्चिम बंगाल के अलावा असम में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा सियासी लिहाज से काफी निर्णायक साबित हो सकता है।

दरअसल पश्चिम बंगाल में भाजपा के सामने एक बड़ी चुनौती बंगाली अस्मिता के नैरेटिव से पार पाने की भी है। हालांकि बिहार में भी भाजपा को इस चुनौती का सामना करना पड़ा था, क्योंकि भाजपा की ओर से चुनावी कमान संभालने वाले नरेंद्र मोदी और अमित शाह को गुजराती बताकर विपक्ष ने बिहारी बनाम बाहरी के मुद्दे को काफी हवा दी थी। लेकिन भाजपा ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए इसकी प्रभावी काट निकाली थी, जिसकी छाप नतीजों में दिखाई दे रही है।

बहरहाल बिहार के चुनावी नतीजों ने जहां भाजपा के उत्साह को नई उंचाई पर पहुंचा दिया है, वहीं पहले से हौसलापस्त विपक्षी दलों को इसने रसातल पर ला पटका है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 240 सीटों पर रोककर कांग्रेस समेत दूसरे भाजपा विरोधी दलों ने शानदार आगाज किया था। इसी साल नवंबर में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में भी भाजपा विरोधी गठबंधन ने सत्ता हासिल करके अपना जोश नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया था। लेकिन भाजपा विरोधी दल अपना ये जोश बरकरार नहीं रख सके और इसके बाद हुए महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अब देखना है कि बिहार में मिली करारी हार के बाद भाजपा विरोधी दल भाजपा के विजय अभियान को रोकने के लिए क्या जतन करते हैं।

बिहार की जीत भाजपा के लिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों मानी जा रही है?

क्योंकि यह जीत आने वाले बंगाल, असम और दक्षिण राज्यों के चुनाव में भाजपा के लिए मनोबल और रणनीतिक बढ़त दिलाती है।

SIR क्या है और यह चुनाव में क्यों महत्वपूर्ण हुआ?

SIR यानी वोटर लिस्ट शुद्धिकरण प्रक्रिया। भाजपा ने इसके विरोध को घुसपैठियों से जोड़कर चुनावी ध्रुवीकरण किया, जिसने नतीजों को प्रभावित किया।

क्या बंगाल में भाजपा की स्थिति अब मजबूत है?

बिहार की जीत ने मनोबल बढ़ाया है, लेकिन बंगाली अस्मिता और टीएमसी की मजबूत पकड़ अब भी बड़ी चुनौती है।