DM Office Auction Notice: यहाँ नीलाम हो रहा है कलेक्टर का पूरा दफ्तर!.. कोर्ट के आदेश पर नोटिस भी चस्पा, करोड़ो के पेमेंट से जुड़ा मामला

अगर 2014 में 33.44 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया होता तो यह राशि बढ़कर 4.17 करोड़ रुपए नहीं होती और कलेक्ट्रेट की नीलामी से बचा जा सकता था। हालांकि, अधिकारी इस मामले पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

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  • Publish Date - June 18, 2025 / 12:30 PM IST,
    Updated On - June 18, 2025 / 12:32 PM IST

Madhubani DM Office Auction Notice || Image- District Administration, Madhubani Facebook

HIGHLIGHTS
  • कोर्ट आदेश पर मधुबनी कलेक्ट्रेट की नीलामी का नोटिस चस्पा किया गया।
  • 4.17 करोड़ की बकाया राशि पर 15 दिन में भुगतान का निर्देश।
  • सरकारी कताई मिल से जुड़ा 2014 का लंबित भुगतान मामला उजागर।

Madhubani DM Office Auction Notice: मधुबनी: लेनदेन के मामले जो कोर्ट-कचहरी के दरवाजो तक पहुँचते है, उनमें अक्सर अदालते नीलामी जैसी प्रक्रिया के माध्यम से आवेदकों को भुगतान के लिए निर्देशित करती है। सम्पत्तियों की नीलामी भी कराई जाती है और भुगतान के साथ प्रकरणों का निबटारा किया जाता है। लेकिन यह तो आम लोगों के मामलों में देखने को मिलता है। इसके उलट आज हम बात कर रहे है, बिहार राज्य के मधुबनी की जहाँ कोर्ट ने डीएम ऑफिस यानि कलेक्टर दफ्तर को ही नीलाम किये जाने का नोटिस चस्पा कराया है। आइये जानते है आखिर मामला क्या है।

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दरअसल बिहार में मधुबनी की एक अदालत ने मधुबनी कलेक्ट्रेट को एक नोटिस जारी कर अधिकारियों से 15 दिनों के भीतर कोलकाता स्थित राधे कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को 4.17 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है। कोर्ट ने साफ़तौर पर कहा कि आदेश की अवमानना होने यानी भुगतान नहीं किये जाने पर अचल संपत्तियों की नीलामी की जाएगी। बता दें कि, कलेक्ट्रेट में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), पुलिस अधीक्षक (एसपी) और अन्य शीर्ष जिला अधिकारियों के दफ्तर मौजूद हैं।

चस्पा की गई नोटिस

Madhubani DM Office Auction Notice: बता दें कि, मधुबनी न्यायालय के आदेशानुसार मधुबनी कलेक्ट्रेट के गेट पर नोटिस चिपका दिया गया है। मधुबनी कलेक्ट्रेट पर ब्याज सहित ₹4.17 करोड़ बकाया है। कोलकाता स्थित डिक्रीधारक राधाकृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को 15 दिनों के भीतर भुगतान किया जाना चाहिए। माननीय न्यायालय ने मध्यस्थता मामले EXEC.-3/2016 में यह निर्देश जारी किया है।

क्या हैं प्रकरण?

Madhubani DM Office Auction Notice: दरअसल मामला पंडौल प्रखंड स्थित पंडौल सहकारी कताई मिल से जुड़ा है। अगस्त 2014 में तत्कालीन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय घनश्याम प्रसाद ने मेसर्स राधाकृष्ण एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रतन कुमार केडिया बनाम सहकारी कताई मिल पंडौल, बिहार सरकार व अन्य के मामले में आदेश पारित किया था। आदेश में प्रतिवादियों को अग्रिम भुगतान के रूप में ₹28.90 लाख, क्षतिपूर्ति के रूप में ₹2.70 लाख तथा अतिरिक्त व्यय के रूप में ₹1.80 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही निर्धारित समय में भुगतान न करने पर 18% ब्याज दर का भी आदेश दिया गया था।

आदेश का पालन न होने पर कंपनी ने 2016 में मधुबनी कोर्ट में अनुपालन के लिए मामला दायर किया। सहकारी कताई मिल सरकारी प्रबंधन के अधीन थी और 1997 में बंद हो गई थी। उस समय कंपनी और मिल अधिकारियों के बीच समझौता हुआ था कि सरकार मिल का संचालन करेगी और कंपनी पूंजी और कच्चा माल उपलब्ध कराएगी।

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अगर 2014 में 33.44 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया होता तो यह राशि बढ़कर 4.17 करोड़ रुपए नहीं होती और कलेक्ट्रेट की नीलामी से बचा जा सकता था। हालांकि, अधिकारी इस मामले पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

❓ 1. मधुबनी कलेक्ट्रेट की नीलामी का आदेश क्यों जारी हुआ है?

मधुबनी की अदालत ने 2014 के एक भुगतान आदेश की अनदेखी के चलते यह आदेश दिया। कोर्ट ने 15 दिनों में 4.17 करोड़ रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया है, अन्यथा नीलामी की कार्रवाई की जाएगी।

❓ 2. कलेक्ट्रेट पर किस कंपनी का भुगतान बकाया है और कितना?

कोलकाता स्थित राधे कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का ₹4.17 करोड़ (ब्याज समेत) बकाया है, जो पंडौल सहकारी कताई मिल से जुड़ा मामला है।

❓ 3. क्या यह वास्तव में सरकारी कार्यालय की नीलामी हो सकती है?

सिद्धांततः अदालत के आदेश के अनुपालन में किसी भी अचल संपत्ति की नीलामी की जा सकती है, लेकिन कलेक्ट्रेट जैसे महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान की नीलामी से बचने के लिए सरकार को भुगतान करना पड़ेगा या कानूनी राहत लेनी होगी।