बिना हिस्सेदारी के फ्यूचर रिटेल का ‘नियंत्रण’ चाहती है अमेजन : विश्लेषक

बिना हिस्सेदारी के फ्यूचर रिटेल का ‘नियंत्रण’ चाहती है अमेजन : विश्लेषक

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  • Publish Date - November 18, 2020 / 04:40 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन देश के खुदरा क्षेत्र के सबसे बड़े अधिग्रहण को पटरी से उतारने का प्रयास कर रही है। वकीलों और विश्लेषकों ने यह राय जताई है। उनका कहना है कि अमेजन एक करार के जरिये अप्रत्यक्ष तरीके से खुदरा श्रृंखला बिग बाजार में ‘पैठ’ बनाने की कोशिश कर रही है।

अमेजन ने पिछले साल किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। साथ ही उसने सरकार द्वारा बहुब्रांड खुदरा कंपनियों में विदेशी स्वामित्व की सीमा हटाये जाने की स्थिति में सूचीबद्ध प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल लि.(एफआरएल) के अधिग्रहण का भी अधिकार हासिल किया था।

कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगाए लॉकडाउन के चलते एफआरएल गंभीर नकदी संकट में घिर गई थी। उसके बाद उसने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ अपनी संपत्तियों की 24,713 करोड़ रुपये में बिक्री का करार किया था। इसपर अमेजन ने आपत्ति जताई थी।

अमेरिकी कंपनी का दावा है कि उसका गैर-सूचीबद्ध फ्यूचर कूपंस लि. (एफसीएल) के साथ अनुबंध कई लोगों और कंपनियों के साथ लेनदेन को रोकता है। इनमें अंबानी और रिलायंस शामिल है।

वकीलों और विश्लेषकों का कहना है कि अमेजन ने एफआरएल में नहीं बल्कि किशोर बियानी के नियंत्रण वाली फ्यूचर कूपंस में निवेश किया है। फ्यूचर कूपंस वस्तुओं का थोक कारोबार और कॉर्पोरेट ग्राहकों को कॉर्पोरेट गिफ्ट्स कार्ड, लॉयल्टी कार्ड तथा रिवार्ड कार्ड का वितरण करती है।

विश्लेषकों का कहना है कि 22 अगस्त, 2019 के शेयरधारक करार से एफसीएल को एफआरएल के प्रबंधन और मामलों में महत्वपूर्ण नियंत्रण का अधिकार मिल गया है। इसमें किसी खुदरा परिसंपत्ति की बिक्री उसकी अनुमति के बिना नहीं की जा सकती है। इसके अलावा यह अधिकार कुछ लोगों को संपत्ति की बिक्री पर भी रोक लगाता है। उन्होंने कहा कि यह एक तरह से अमेजन को एफआरएल में ‘नियंत्रण के अधिकार’ जैसा है। हालांकि, कानून इस तरह की अनुमति नहीं देता है।

वहीं दूसरी ओर अमेजन का मानना है कि उसका एफआरएल के परिचालन पर नियंत्रण नहीं है और यह करार सिर्फ उसके निवेश को संरक्षण देता है। इस करार की जानकारी बाजार नियामक सेबी के साथ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को भी दी गई है। सूत्रों का कहना है कि यह ‘नियंत्रण’ कानून का उल्लंघन है क्योंकि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में सरकार की अनुमति से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की काफी अंकुशों के साथ अनुमति है। इस बारे में अमेजन को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला ऊै।

बहु ब्रांड खुदरा कंपनी में विदेशी नियंत्रण के आरोपों को इस आधार पर खारिज किया जा रहा है कि एफआरएल में 12.3 प्रतिशत की विदेशी पोर्टफोलियो हिस्सेदारी है।

अमेजन ने एफसीएल में 1,430 करोड़ रुपये में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है। 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बियानी के पास है। वहीं एफसीएल के पास एफआरएल में 9.82 प्रतिशत वोटिंग अधिकार है। एफसीएल में स्वत: मंजूर मार्ग से एफडीआई की अनुमति है।

सूत्रों ने कहा कि एफडीआई कानून के तहत एफसीएल के पास उस समय तक एफआरएल के शेयर रह सकते हैं जबतक कि उसका नियंत्रण भारतीय निवासी बियानी के पास है।

भाषा अजय अजय मनोहर रमण

रमण