नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा मई के अंत में वित्त वर्ष 2023-24 के पूरे साल के बजट अनुमान का 11.8 प्रतिशत रहा। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
पिछले वर्ष की समान अवधि में राजकोषीय घाटा 2022-23 के बजट अनुमान का 12.3 प्रतिशत था।
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार को कुल कितनी उधारी की जरूरत है।
सीजीए के आंकड़ों के अनुसार वास्तविक रूप से घाटा मई 2023 के अंत में 2,10,287 करोड़ रुपये था।
आम बजट में सरकार ने 2023-24 में राजकोषीय घाटे को कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
इससे पहले 2022-23 में घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत था, जबकि 6.71 प्रतिशत का लक्ष्य तय किया गया था।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों के लिए केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय के आंकड़े जारी करते हुए सीजीए ने कहा कि इस दौरान शुद्ध कर राजस्व 2.78 लाख करोड़ रुपये रहा जो बजट अनुमान का 11.9 प्रतिशत है। सरकार का कुल व्यय 6.25 लाख करोड़ रुपये रहा जो बजट अनुमान का 13.9 प्रतिशत है।
बजट के अनुसार मार्च 2024 के अंत में राजकोषीय घाटा 17.86 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
सीजीए के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री और शोध प्रमुख अदिति नायर ने कहा कि जहां कर राजस्व में 9.6 प्रतिशत की गिरावट हुई है, वहीं आरबीआई के लाभांश के चलते गैर-कर राजस्व 173 प्रतिशत बढ़ा है। इस बीच सालाना आधार पर राजस्व व्यय में 4.3 प्रतिशत की गिरावट और पूंजीगत व्यय में 56.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
उन्होंने कहा कि हालांकि राजकोषीय चिंताएं सीमित दिखाई दे रही हैं और आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निकट अवधि में नीतिगत दरें बढ़ाने का अनुमान नहीं है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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