क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के समेकन के लिए वित्त मंत्रालय जल्द शुरू करेगा चौथा दौर

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के समेकन के लिए वित्त मंत्रालय जल्द शुरू करेगा चौथा दौर

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  • Publish Date - April 6, 2025 / 06:22 PM IST,
    Updated On - April 6, 2025 / 06:22 PM IST

नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) वित्त मंत्रालय क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की परिचालन दक्षता और लागत को तर्कसंगत बनाने के लिए उनके समेकन के इरादे से जल्द ही ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ योजना को लागू करेगा।

सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय 43 आरआरबी को समेकित कर इनकी संख्या को 28 तक लाना चाहता है।

सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के समेकन के मुद्दे से संबंधित अधिकांश काम पूरे हो चुके हैं और जल्दी ही समेकन का चौथा दौर शुरू होगा। अब तक समेकन के तीन चरण हो चुके हैं।

वित्त मंत्रालय की रूपरेखा के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में संचालित 15 आरआरबी का विलय किया जाएगा। जिन राज्यों में आरआरबी का एकीकरण होगा, उनमें आंध्र प्रदेश (चार), उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल (तीन-चीन) और बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं राजस्थान (दो-दो) शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि तेलंगाना के मामले में आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (एपीजीवीबी) की परिसंपत्तियों और देनदारियों को एपीजीवीबी और तेलंगाना ग्रामीण बैंक के बीच विभाजित करने से संबंधित मुद्दा समाप्त हो गया है।

वित्त वर्ष 2021-22 आरआरबी के संदर्भ में एक अहम साल रहा था। इस समय केंद्र ने विकास पूंजी की सुविधा के लिए दो साल की अवधि में अपने हिस्से के रूप में 5,445 करोड़ रुपये आरआरबी में डालने का फैसला किया था।

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान आरआरबी का प्रदर्शन सुधरकर कई मापदंडों पर ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया। आरआरबी ने 2023-24 के दौरान 7,571 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक समेकित शुद्ध लाभ दर्ज किया और उनका समेकित पूंजी पर्याप्तता अनुपात 14.2 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था।

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2004-05 में आरआरबी के संरचनात्मक समेकन की पहल की थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन चरणों में ऐसे संस्थानों की संख्या 2020-21 तक 196 से घटकर 43 रह गई।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत किया गया था। इनके गठन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करना था।

भाषा प्रेम प्रेम

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