यूक्रेन युद्ध की वजह से गुजरात के लाखों हीरा श्रमिकों की आजीविका संकट में

यूक्रेन युद्ध की वजह से गुजरात के लाखों हीरा श्रमिकों की आजीविका संकट में

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  • Publish Date - June 12, 2022 / 10:42 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:54 PM IST

अहमदाबाद, 12 जून (भाषा) रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गुजरात का हीरा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। युद्ध के कारण इस उद्योग में कार्यरत लाखों श्रमिकों की आजीविका पर गंभीर संकट है। विशेषरूप से सौराष्ट्र क्षेत्र के ग्रामीण हिस्से में कार्यरत इकाइयां इस घटनाक्रम से सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं।

उद्योग के प्रतिनिधियों ने बताया कि ये इकाइयां प्रसंस्करण और पॉलिश करने के लिए रूस से छोटी मात्रा में हीरों का आयात करती हैं।

रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के क्षेत्रीय चेयरमैन दिनेश नवादिया ने पीटीआई-भाषा से कहा कि राज्य के हीरा उद्योग में करीब 15 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

रूस से छोटे आकार के कच्चे हीरों की आपूर्ति में कमी के कारण गुजरात के व्यापारी अफ्रीकी देशों और अन्य जगहों से कच्चा माल खरीदने को मजबूर हैं, जिससे उनका मुनाफा प्रभावित हो रहा है।

इसलिए राज्य की हीरा इकाइयों ने अपने श्रमिकों और पॉलिश करने वालों के काम के घंटों में कटौती की है जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हुई है।

बड़े आकार के हीरों का प्रसंस्करण मुख्य रूप से राज्य के सूरत शहर की इकाइयों में किया जाता है।

अमेरिका को भारत से 70 प्रतिशत कटे और पॉलिश हीरों का निर्यात किया जाता है। उसने रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

नवादिया ने कहा कि अमेरिका में कुछ बड़ी कंपनियों ने पहले ही उन्हें ई-मेल भेजकर कहा है कि वे रूसी सामान नहीं खरीदेंगी।

उन्होंने कहा कि इस वजह से विशेषरूप से सौराष्ट्र के भावनगर, राजकोट, अमरेली और जूनागढ़ जिलों के हीरा श्रमिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा राज्य के उत्तरी हिस्से के श्रमिकों पर भी इसका असर पड़ा है।

नवादिया ने कहा, ‘‘हम रूस से लगभग 27 प्रतिशत कच्चे हीरे का आयात कर रहे थे। लेकिन युद्ध के कारण अब इतनी मात्रा गुजरात में प्रसंस्करण इकाइयों तक नहीं पहुंच रही है, जिससे वहां काम प्रभावित हो रहा है।’’

उन्होंने कहा कि गुजरात में हीरा प्रसंस्करण में शामिल पूरे श्रमबल का लगभग 50 प्रतिशत छोटे आकार के हीरों पर काम करता है, जिन्हें स्थानीय रूप से ‘पटली’ कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि युद्ध से पहले गुजरात में पॉलिश के लिए आयात किए जाने वाले 30 प्रतिशत कच्चे हीरे रूस की हीरा खनन कंपनी अलरोसा से आते थे।

गुजरात में पॉलिश और प्रसंस्करण के लिए आने वाले हीरों में से 60 प्रतिशत रूस से आते हैं। इनमें से ज्यादातर छोटे आकार के हीरे हैं।

भाषा अजय अजय

अजय