एसईए ने सरकार से तेल रहित चावल की भूसी पर निर्यात प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया

एसईए ने सरकार से तेल रहित चावल की भूसी पर निर्यात प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया

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  • Publish Date - April 16, 2025 / 06:43 PM IST,
    Updated On - April 16, 2025 / 06:43 PM IST

नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने बुधवार को सरकार से तेल रहित चावल भूसी डी-आयल्ड केक (डीओसी) पर निर्यात प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया ताकि अधिशेष स्टॉक की निकासी हो सके।

तेलरहित चावलभूसी डीओसी का उपयोग मुख्य रूप से मवेशियों और मुर्गी पालन के लिए चारे के रूप में किया जाता है।

एसईए ने बयान में कहा, ‘‘प्रतिबंध के कारण प्रसंस्करणकर्ताओं को तेलरहित चावलभूसी डीओसी के निपटान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जिससे कई लोगों को परिचालन बंद करने या क्षमता में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इससे चावल मिलिंग उद्योग और चावलभूसी तेल का उत्पादन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।’’

सरकार ने 28 जुलाई, 2023 को प्रतिबंध लगाया था और इसे कई बार बढ़ाया है। हाल ही में फरवरी, 2025 में, 30 सितंबर, 2025 तक इस प्रतिबंध को बढ़ाया गया है।

मुंबई स्थित व्यापार निकाय ने कहा, ‘‘हमने सरकार से प्रतिबंध हटाने के व्यापक आर्थिक, कृषि और पर्यावरणीय लाभों का मूल्यांकन करने का आग्रह किया है।’’

एसईए ने तर्क दिया कि अधिशेष तेलरहित चावलभूसी डीओसी का निर्यात करने से स्टॉक की कुशल निकासी हो सकेगी, निरंतर प्रसंस्करण संभव हो सकेगा, क्षमता उपयोग में सुधार होगा, वनस्पति तेल उत्पादन बना रहेगा, रोजगार और विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि होगी।

एसईए ने कहा कि तीन दशक में, भारत ने वियतनाम, थाइलैंड, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देशों में तेलरहित चावलभूसी डीओसी के लिए मजबूत निर्यात बाजार स्थापित किए हैं। प्रतिबंध ने प्रतिस्पर्धियों को कदम बढ़ाने का मौका दिया है, जिससे एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की स्थिति को खतरा पैदा हुआ है।

यह मसला विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में गंभीर है, जो इसके प्रमुख उत्पादक हैं, जिनमें विकसित स्थानीय पशु चारा उद्योगों का अभाव है। उच्च माल ढुलाई लागत निर्यात की तुलना में उच्च मांग वाले क्षेत्रों में घरेलू परिवहन को गैर-लाभकारी बनाती है।

एसईए ने संबंधित मंत्रालयों से निर्यात प्रतिबंधों पर तत्काल पुनर्विचार करने का आह्वान किया है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय