शेयर बाजार में तीन दिन से जारी तेजी पर ब्रेक, 359 अंक टूटा सेंसेक्स, जानिए दिग्गज शेयरों का हाल

शेयर बाजार में तीन दिन से जारी तेजी पर ब्रेक, 359 अंक टूटा सेंसेक्सः Shares of companies included in Sensex fell, know the condition of others

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  • Publish Date - May 31, 2022 / 04:22 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

मुंबई : शेयर बाजारों में तीन दिनों से जारी तेजी पर मंगलवार को विराम लग गया और बीएसई सेंसेक्स 359.33 अंक टूटकर बंद हुआ। एचडीएफसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और इन्फोसिस जैसी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली के बीच यह गिरावट आई। कारोबारियों के अनुसार जीडीपी के आंकड़े जारी होने से पहले निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भी बाजार की धारणा पर असर पड़ा।

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तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 359.33 अंक यानी 0.64 प्रतिशत गिरकर 55,566.41 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 556.6 अंक तक लुढ़क गया था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 76.85 अंक यानी 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,584.55 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में कोटक महिंद्रा बैंक, सन फार्मा, एचडीएफसी, इन्फोसिस, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में गिरावट रही। वहीं, दूसरी तरफ महिंद्रा एंड महिंद्रा, एनटीपीसी, पावरग्रिड, टेक महिंद्रा और टाटा स्टील के शेयर लाभ में रहे।

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एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग मजबूती के साथ बंद हुए जबकि जापान का निक्की गिरावट लेकर बंद हुआ। यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में गिरावट रही। अमेरिकी शेयर बाजार सोमवार को अवकाश के कारण बंद थे। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.64 प्रतिशत महंगा होकर 123.66 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशक घरेलू बाजार में शुद्ध खरीदार रहे। उन्होंने सोमवार को 502.08 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

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जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार सुधार को बनाए रखने में विफल रहा क्योंकि उसे जीडीपी के आंकड़े जारी होने का इंतजार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ के रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जो वैश्विक मुद्रास्फीति को नियंत्रण में करने के प्रयासों को प्रभावित करेगा।’’