Reported By: Vishal Vishal Kumar Jha
,Bilaspur High Court | Photo Credit: IBC24
बिलासपुर: Bilaspur High Court बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महिला की 22 साल बाद पति से भरण-पोषण मांगने की याचिका को खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे अंतराल के बाद वह भरण-पोषण पाने की अधिकारी नहीं है।
Bilaspur High Court दरअसल, दुर्ग में हरने वाली महिला ने फैमिली कोर्ट में अपने पति के लिखाफ बीएनएस की धारा 144 के तहत आवेदन देकर हर माह 40 हजार रुपए भरण-पोषण और 25 हजार रुपये मुकदमे में हुए खर्च के लिए मांगे थे। लेकिन कोर्ट ने याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि 22 वर्षों तक चुप रही। अब अचानक भरण पोषण की मांग करना तर्कसंगत नहीं है।
महिला ने हाईकोर्ट को बताया कि वह पहले सरकारी नौकरी में थी, लेकिन अब बेरोजगार है। वर्ष 2002 में पति और सास ने उसे और बेटे को घर से निकाल दिया था। वर्ष 2007 में उसे पटवारी की नौकरी मिली थी। लेकिन, बाद में वह एक आपराधिक मामले में फंस गई और 2019 में सेवा से बर्खास्त कर दी गई।
इसके चलते अब उसे भरण-पोषण की जरूरत है। यह तर्क भी दिया कि पत्नी होने के नाते वह भरण-पोषण की हकदार है। उसने अपनी सारी जमा पूंजी बेटे की पढ़ाई और बीमार पिता की दवाइयों में खर्च कर दी है। हाईकोर्ट महिला के तर्कों से सहमत नहीं हुआ।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि महिला ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इतने वर्षों बाद आखिर किन कारणों से अचानक भरण-पोषण की जरूरत पड़ी। महिला पहले सरकारी सेवा में थी और उसने अपनी बेरोजगारी की स्थिति को भी स्पष्ट नहीं किया, ऐसे में माना जा सकता है कि उसके पास जीवन यापन के कुछ संसाधन तो हैं।