Reported By: Abhishek Soni
,Navratri 2025/Image Source: IBC24
अंबिकापुर : Navratri 2025: शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है और माता के दरबार में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। IBC24 भी आपको ऐसे ही शक्तिपीठों के दर्शन कराएगा। आज हम आपको लिए चलते हैं अंबिकापुर जहां आदि शक्ति महामाया का दरबार तो है ही मगर यहाँ उनकी बहन समलाया भी विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि दोनों बहनों के दर्शन से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है और भक्त माँ की पूजा-अर्चना में जुट गए हैं। नवरात्र के पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप की पूजा हो रही है। अंबिकापुर के माँ महामाया मंदिर में भी भक्त सुबह से ही माता के दर्शन को पहुँच रहे हैं। माँ महामाया को सरगुजा की आराध्य देवी के रूप में भी जाना जाता है। यही कारण है कि यहाँ हर शुभ काम की शुरुआत माँ के दर्शन से की जाती है। अगर आप सरगुजा पहुँचे और आपने सिर्फ माँ महामाया के दर्शन किए, तो आपका दर्शन अधूरा ही माना जाएगा क्योंकि माँ के दर्शन करने के बाद उनकी छोटी बहन के दर्शन भी अनिवार्य माने गए हैं। चलिए आपको यह भी बताते हैं कि कहाँ स्थापित हैं माँ की बहन और कैसे पहुँचा जा सकता है वहाँ।
Navratri 2025: दरअसल मुख्य मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर दूर, शहर की ही ओर स्थित है माँ समलाया का मंदिर। ऐसी मान्यता है कि मुख्य मंदिर से ही एक मूर्ति निकालकर यहाँ स्थापित की गई थी जिसे माँ महामाया की छोटी बहन यानी समलाया के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर में भी दो प्रतिमाएँ हैं एक माँ समलाया की और दूसरी माँ विंध्यवासिनी की। यह भी माना जाता है कि यदि आपने माँ महामाया के दर्शन कर लिए हैं तो आपको उनकी छोटी बहन यानी समलाया के दर्शन करना अनिवार्य होगा तभी आपका दर्शन पूर्ण माना जाएगा। यही कारण है कि दोनों ही मंदिरों में अपार भीड़ नजर आ रही है।