नक्सलमुक्त होने की ओर बस्तर, 580 गांवों में मिली सफलता, एक जिले में 500 से अधिक माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण

पुलिस का कहना है कि सबसे ज्यादा फायदा माओवादियों के आत्मसमर्पण के लिए चलाए जा रहे पुलिस के विशेष अभियानों का हुआ है।

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  • Publish Date - September 7, 2022 / 10:15 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

Bastar became Naxal-free

Bastar became Naxal-free: जगदलपुर। बस्तर में लगातार नक्सल मुक्त गांव की संख्या बढ़ती जा रही है बस्तर पुलिस ने वर्तमान में से 580 गांवों के चिन्हांकित किया है जो अब नक्सल मुक्त हो चुके हैं। जहां पुलिस कैंप स्थापित करने के साथ ही सरकार की बुनियादी सुविधाएं संचालित की जा रही हैं। पुलिस का कहना है कि सबसे ज्यादा फायदा माओवादियों के आत्मसमर्पण के लिए चलाए जा रहे पुलिस के विशेष अभियानों का हुआ है।

बस्तर संभाग के सातों जिलों में माओवादियों के खिलाफ संचालित विशेष अभियानों का असर अब दिखने लगा है। दंतेवाड़ा जिले की बात करें तो यहां बीते 2 सालों में ही 500 से अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। देश में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित सुकमा जिला भी इस मामले में पीछे नहीं रहा है पिछले कुछ सालों में न केवल माओवादी घटनाओं में कमी आई है बल्कि मुठभेड़ों में बड़ी संख्या में पुलिस ने माओवादियों को मार गिराया है।

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अब पुलिस कैंप पर हमले भी बीते दिनों की बात हो गई हैं, लगातार ऐसे इलाकों में पुलिस ने कैंप खोलने में कामयाबी हासिल की है जो इलाके माओवादियों के मजबूत गढ़ माने जाते रहे हैं, पुलिस ने इन गांवों को चिन्हांकित इस आधार पर किया है कि जहां छोटी से बड़ी वारदात होती रही थी और अब यह पूरी तरह से बंद हो गई हैं।

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इस मामले में बस्तर आईजी पी सुंदर राज का कहना है कि सड़कों का निर्माण और पुलिस की त्रिवेणी योजना का आने वाले दिनों में और भी असर दिखाई देगा और जल्द ही बस्तर को नक्सल मुक्त करने की तरफ सरकार बढ़ने लगेगी। लगातार चलने वाले ऑपरेशन और यूनिफाइड कमांड के जरिए कराए जाने वाले विभिन्न विकास कार्यों से अब ग्रामीणों का विश्वास भी जीतने में पुलिस को कामयाबी मिल रही है। अगले साल तक पुलिस ने लक्ष्य रखा है कि 19 नए कैंप स्थापित किए जाएं और साथ ही इन सभी 580 गांव तक मोबाइल टावर की सुविधा भी पहुंच सके।