Difficult life of Bastar || Image- IBC24 News File
Difficult life of Bastar: बीजापुर: बस्तर संभाग में जीवन किस कदर मुश्किल है इसकी बानगी तब देखने को मिली जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. बीआर पुजारी और उनकी टीम ने रविवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के मन्नूर गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाने के लिए उफनती चिंतावागु नदी को नाव से पार किया। टीम को मलेरिया जांच और टीकाकरण करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों की यात्रा के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, सीएमएचओ डॉ. पुजारी ने बताया कि उनकी टीम को मानसून के दौरान नदी पार करते समय गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया, “हम यहाँ हैं, और जब हम भामरागढ़ ब्लॉक में सुंदरावती नदी पार करने वाले थे, तो हमें वहाँ, खासकर बरसात के मौसम में, समस्याओं का सामना करना पड़ा।”
उन्होंने आगे कहा, “नाव से नदी पार करने के बाद, हमें पूरे इलाके को, खासकर हमारे बागरिया और गुड्डू क्षेत्र को, पैदल ही कवर करना पड़ता है, क्योंकि वहाँ नावें नहीं चलतीं, क्योंकि वह इलाका पथरीला है। इससे एक-दो महीने तक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने में दिक्कत आती है। उस इलाके में इंद्रावती नदी के बीच में झाड़ियाँ हैं, जिससे थोड़ी दिक्कत होती है। जब पानी का स्तर कम होता है, तो हम उस इलाके को भी कवर करते हैं।”
Difficult life of Bastar: टीम के एक कर्मचारी ने बताया कि वे टीकाकरण अभियान के साथ-साथ इलाके में मलेरिया कार्यक्रम का 12वां दौर भी चला रहे हैं। उन्होंने कहा, “अब हम 5 किलोमीटर अंदर चलेंगे और बारिश को देखते हुए हमने रेनकोट और अन्य सामान का भी इंतजाम कर लिया है।”
टीम के एक अन्य सदस्य ने कहा, “हमें इस नदी को कम से कम दो बार पार करना पड़ता है। यह हमारा कार्यक्षेत्र है। जब हम वहाँ जाते हैं, तो हम टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करते हैं और मलेरिया की जाँच करते हैं। इसके अलावा, हम सर्दी, खांसी, फ्लू और बुखार पर भी नज़र रखते हैं।” आगे बताया, “बारिश के मौसम में हमें काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई बार हम नदियाँ पार नहीं कर पाते थे। जब नदी उफान पर होती है, तो हम गाँव में ही रहते हैं और जब पानी कम हो जाता है, तो हम नाव से नदी पार करते हैं।”