Land Guideline Rate. Image Source- IBC24
रायपुरः Land Guideline Rate जब भी आप जमीन खरीदी-बिक्री कराते हैं तो उस पर आपको सरकार की तय गाइडलाइन के मुताबिक तय रजिस्ट्री दर देनी होती है। वक्त-वक्त पर सरकार इन दरों को रिवाइज करती रही है। इस बार भी सरकार ने ऐसा ही किया, लेकिन इसे लेकर विरोध और बयानों वाली सियासी जंग भी छिड़ गई। कांग्रेस कहती है सरकार आमजन की जेब काट रही है तो भाजपा कहती है सरकार में रहते कांग्रेस ने माफिया के मुताबिक रेट तय की। सवाल है जनहित में कौन है और कौन सियासी मोड में?
Land Guideline Rate 8 साल के अंतराल के बाद बाद राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में जमीनों के गाइडलाइन रेट बढ़ा दिए हैं। सरकार के मुताबिक सरकारी गाइडलाइन रेट और जमीनों के वास्तविक बाजार दाम में बड़ा फर्क आ रहा था। सरकारी खजाने को नुकसान था सो अलग, साथ ही मध्यम वर्गीय लोग जो होम लोन के जरिए जमीन-मकान खरीदते हैं उन्हें भी इस अंतर के चलते बैंकों से जरुरत के अनुसार लोन नहीं मिल पा रहा था। इसके अलावा एक ही एरिया में अलग-अलग गाइड लाइन रेट जैसी विषमताओं को भी दूर किया गया है। मसलन- रोड के एक तरफ संपत्ति की गाइडलाइन रेट 14 हजार थी तो दूसरी तरफ 80 हजार, रिंग रोड नंबर-3 पर एक किलोमीटर के दायरे में ही, तीन अलग-अलग रेट चल रहे थे, जिसका जमीन माफिया जमकर फायदा उठा रहे थे। दावा है कि इसे समझने के लिए 7 महीने में चप्पे-चप्पे में जमीन का सर्वे कराया गया और एक तार्किक रेट तैयार किये गए। हालांकि, इस दावे से उलट नई गाइडलाइन का रियल स्टेट से जुड़े लोगों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे लेकर कलेक्ट्रेट का घेराव कर, ज्ञापन सौंपा। चेतावनी दी को वो आगे भी आंदोलन जारी रखेंगे ।
इधर, इस विरोध और तर्तों को सत्तापक्ष ने सिरे से खारिज किया। मंत्री ओपी चौधरी के मुताबिक, पिछली कांग्रेस सरकार ने साजिशन जमीन के रेट नहीं बढ़ने दिये। दावा किया कि नए सुधारों से हर वर्ग को फायदा होगा। इस बार काफी समय बाद नई गाइडलाइन को लेकर रियल स्टेट सेक्टर ने विरोध किया, जिसे विपक्ष ने फौरन समर्थन देकर इसे आमजन से धोखा बताया तो सरकार ने इतने साल गाइड लाइन रेट ना बढ़ाने को पिछली कांग्रेस सरकार की चाल बताते हुए इसे जरूरी और फायदेमंद कदम बताया। सवाल ये है कि इस पर सियासत कौन कर रहा है कौन आम लोगों के हक की बात कह रहा है?