सीएम भूपेश बघेल ने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार जागरूकता अभियान का किया शुभारंभ

सीएम भूपेश बघेल ने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार जागरूकता अभियान का किया शुभारंभ : CM Bhupesh launched forest resource rights awareness campaign

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  • Publish Date - August 10, 2022 / 02:44 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:44 PM IST

रायपुर : CM Bhupesh launched forest resource छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वनवासियों को जागरूक करने प्रदेश में 15 अगस्त से 26 जनवरी तक सामुदायिक वन संसाधन अधिकार जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान का एक कैलेंडर तैयार किया गया है, जिसका विमोचन विश्व आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के क्रियान्वयन की राज्य स्तर पर मार्गदर्शिका तैयार की गई है और मैदानी कर्मचारियों के लिए कार्यशालाएं आयोजित की गई, परंतु ग्राम सभाओं में अभी भी सूचनाएं और प्रक्रियाएं पहुंच नहीं पा रही थी। अब पुनः मुख्यमंत्री ने समीक्षा की और ग्राम सभाओं को जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान की आवश्यकता महसूस की। इसे ध्यान में रखते हुए फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी संस्था ने आदिवासी विकास विभाग और वन विभाग के मार्गदर्शन में ग्राम सभाओं को प्रक्रियाओं की जानकारी देने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार जागरूकता अभियान का एक कैलेंडर तैयार किया। इसका शुभारंभ 9 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया। यह अभियान 15 अगस्त 2022 से 26 जनवरी 2023 तक चलाया जाएगा।

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CM Bhupesh launched forest resource  स्वतंत्रता दिवस के 75वें वर्ष के समारोह में सभी ग्राम पंचायतों में वन अधिकार कानून के बारे में वाचन करते हुए अभियान की शुरुआत की जाएगी। इसके बाद जनवरी 2023 तक सभी वन आधारित गांवों में ग्राम सभाओं में सामुदायिक वन संसाधन पर चर्चा प्रस्ताव करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें अगस्त में दावों के शुभारंभ के लिए ग्राम सभा, सितंबर में लोकवाणी के माध्यम से मुख्यमंत्री से बातचीत, अक्टूबर की ग्राम सभा में प्रस्ताव, नवंबर में राज्य स्थापना दिवस पर कार्यक्रम, दिसंबर में हाट बाजार, जनवरी में ग्राम सभा में विचार आदि के संबंध में जागरूकता अभियान संचालित रहेगा. यह अभियान एक साझा अभियान है, जिसमें सभी स्वयंसेवी संस्थाएं जुड़ेंगी, जिन्होंने लंबे समय तक इस कार्य को गति दी है और वर्तमान में संचालित कर रहे हैं। विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को आदिवासी विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में इस अभियान के शुभारंभ में अभियान गीत के साथ जागरूकता पोस्टर्स एवं धमतरी के नगरी विकासखंड के चारगांव के ग्राम सभा के प्रयासों पर एक फिल्म का प्रदर्शन किया गया।

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कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अभियान को राज्य भर में संचालित करने के लिए आदिवासी विकास विभाग और वन विभाग को निर्देशित किया। स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका को भी महत्वपूर्ण मानते हुए मुख्यमंत्री ने अभियान को सफल बनाने के लिए उनका आव्हान किया। छत्तीसगढ़ अकेला राज्य है, जहां इस तरह के सामुदायिक संसाधनों के अधिकार का लक्ष्य बनाया गया है और उसके लिए ग्राम सभाओं को सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके माध्यम से समुदाय की परंपरागत सांस्कृतिक धरोहर के साथ आजीविका के माध्यम ये वन संसाधन उनकी जिम्मेदारी सहित अधिकार में आएंगे।

फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी संस्था के कार्यकारी निदेशक संजय जोशी के अनुसार संस्था देशभर में सामुदायिक प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन एवं संरक्षण के माध्यम से समुदाय की आजीविका को बेहतर करने पर कार्य करती है। इसी के माध्यम से पर्यावरण के भी स्वास्थ्य को बेहतर रखने का प्रयास किया जाता है। इसी क्रम में संस्था छत्तीसगढ़ शासन के साथ भी सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन को मैदानी स्तर पर मजबूत करने में प्रयासरत है।

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वर्तमान में राज्य के कुल 3801 ग्रामों के सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के दावे स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें 15,32,316.866 हेक्टेयर का दावा शामिल है। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार में एक पारंपरिक गांव के सीमा के भीतर के वन और राजस्व के छोटे बड़े झाड के जंगल का अधिकार ग्राम सभा को मिलता है, जिसमें उन्हें इन वन क्षेत्रों की सुरक्षा, सरंक्षण, पुनरुत्पादन, प्रबंधन की भी जिम्मेदारी निभानी होती है। दावा प्रस्तुत करने के लिए ग्राम सभाएं वन अधिकार समिति का गठन करती है और दावा मिल जाने पर प्रबंधन के लिए वन प्रबंधन समिति का गठन कर सकती है।
दावों के लिए गांव के बुजुर्ग, महिलाएं, सभी निवासरत जनजाति के प्रतिनिधि सहित पटवारी, वन रक्षक, पंचायत सचिव इत्यादि परम्परागत सीमा की पहचान करते हैं और पड़ोसी गांव के साथ जानकारी साझा करते हैं। साथ ही नजरी नक्शा, गांव का निस्तार पत्रक, बुजुर्गों का कथन और पड़ोसी सीमा के लगे गांव के अनापत्ति पत्र लगाए जाते हैं। इसके बाद उपखंड स्तरीय समिति द्वारा सत्यापन करवाया जाता है। सब सही पाए जाने पर जिला स्तरीय समिति को भेजा जाता है। वहां सही पाए जाने पर अधिकार पत्र मिलता है।