धमतरीः Dhamtari Congress Dispute: छत्तीसगढ़ के धमतरी में आज कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का वो चेहरा सामने आया, जिसे पार्टी शायद कभी दिखाना नहीं चाहती थी। दरअसल, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव सचिन पायलट की मौजूदगी में कांग्रेस कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ। वरिष्ठ कांग्रेस नेता देवेंद्र अजमानी ने नारेबाजी करते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष शरद लोहना पर महापौर टिकट वितरण में दलाली का सार्वजनिक आरोप लगाया। अब सोशल मीडिया पर इसका वीडियो जमकर वायरल हो रहा है।
धमतरी के राजीव भवन में सुबह से माहौल सियासी था, लेकिन प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट जिला कांग्रेस की बैठक लेकर बाहर निकले ही थे कि अचानक हवा में अंदरुनी कलह बारूद की महक फैल गई। पूर्व कार्यकारी जिला अध्यक्ष के पद पर रहे देवेन्द्र अजमानी सीधे प्रभारी के पास पहुंचे। वो अपना इस्तीफा सौंपना चाहते थे, लेकिन जिला अध्यक्ष और कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोक दिया। इस पर अजमानी भड़क उठे और आरोपों की झड़ी लगा दी। सीधे जिला अध्यक्ष शरद लोहाना पर महापौर टिकट बेचने का सनसनीखेज आरोप लगाया।
Dhamtari Congress Dispute: कुछ ही पलों में मामला इतना बढ़ गया कि शब्दों की तकरार, धक्का-मुक्की और चिल्लाहट ने बदल गई। देखते ही देखते राजीव भवन परिसर किसी राजनीतिक अखाड़े में बदल गया। इधर सचिन पायलट इस पूरे विवाद के बीच मौन साधे खड़े रहे। जैसे शब्द भी इस दृश्य से हतप्रभ हों। करीब 15 मिनट चले इस हाई-वोल्टेज बवाल के बाद जिला कांग्रेस अध्यक्ष शरद लोहाना ने बड़ा फैसला सुना दिया। देवेन्द्र अजमानी को पार्टी-विरोधी व्यवहार,अनुशासनहीनता और बदसलूकी के आरोप में सीधे 6 साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया।
उधर इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा। धमतरी महापौर और बीजेपी के पूर्व प्रदेश महामंत्री रामू रोहरा ने इसे कांग्रेस की अंदरूनी फूट बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोड़ने वालों की लंबी कतार है। पार्टी डूबती नैया बन चुकी है और 43 साल से पार्टी को समय देने वाले कार्यकर्ता तक अपमानित हो रहे हैं। धमतरी में जो तस्वीर आज सामने आई वो सिर्फ एक बवाल नहीं, बल्कि कांग्रेस की उस अंदरूनी फूट की झलक है, जो संगठन को भीतर से खोखला कर रही है। मिशन 2025 से पहले टिकट की राजनीति, आरोपों की आँधी और नेतृत्व पर सवालों ने कांग्रेस की एकता के गीत को पूरी तरह बेसुरा कर दिया है। धमतरी का यह बवाल कांग्रेस की उस तस्वीर को सामने लाता है, जहां संगठन अनुशासन से ज़्यादा आरोप-प्रत्यारोप और गुटबाज़ी में उलझा दिखता है।