महज इत्तेफाक है या…! हाथियों ने पति को मारा..घर ढहाया, दूसरी जगह बसने के बाद भी 7 साल से महिला के पीछे पड़े हाथी

पूर्व में घटित घटना का मुआवजा शायद ही इस महिला को कोई दे पाएगा और आज फिर से उसकी आंखें नम हो गई है जिसकी व्यथा और हालात शासन प्रसाशन को नजर नहीं आती

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  • Publish Date - September 4, 2022 / 01:04 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:23 PM IST

Elephants killed husband.. demolished house: जशपुर। एक विधवा महिला के निवास गृह को हाथी ने ध्वस्त कर दिया। वहीं महिला शासन के मुआवजे का इंतजार ना कर खुद से मरम्मत करवा रही है। मामला जशपुर जिले के अंतर्गत आने वाले वन परीक्षेत्र तपकरा का है। जहाँ बीती रात तपकरा वन परिक्षेत्र के समीप सीमाबारी ग्राम के बस्ती बनमुंडा में भीड़ से बिछड़ा हुआ और लोगों की भीड़ से ही सताये हुए हाथी ने बनमुंडा निवासी एक विधवा महिला के घर को तोड़ दिया है, बरसात के इस मौसम में महिला का परिवार कहाँ जाएगा। यह सोच कर ग्राम वासियों ने ही उस घर को सुधार करना शुरू कर दिया।

यह घटना बीती रात 11.00 बजे की है जब पूरी बस्ती नींद की आगोश में लिपटा हुआ था। यह साफ देखा जा सकता है कि हाथी ने उस घर को किस तरह से अपना शिकार बनाया है, बस्ती वाले कि एक जुट होकर चिल्लाने पर हाथी ने अपना रुख बदला और जंगल की ओर लापता हो गया।

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यह परिवार पहले भी कई बार हाथियों के हमले से सताया हुआ है, आज से 7-8 वर्ष पूर्व उक्त महिला का परिवार जंगल के नजदीक मकान बना कर बसता था, लेकिन जब हाथियों का आवागमन होने लगा तब भी पूरा परिवार यही रह कर गुजर बसर कर रहे थे, पर एक रात हाथियों के झुंड ने उक्त महिला के परिवार और घर को चारों तरफ से घेर लिया औऱ तोड़फोड़ करने लगे परिवार ने जैसे तैसे स्वयं को बचाया लेकिन यह मंजर ऐसा था कि महिला के पति रामेश्वर भगत ने अपनी सूझबुझ से हाथियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए एक बाजा का सहारा लिया और इसके परिवार आसानी से बस्ती की ओर भागने में सफल हुए थे।

मगर अफसोस कि उस समय रामेश्वर भगत के समीप एक हाथी आकर खड़ा हुआ था जिसे वह देख नही पाया था अचानक नजर पड़ते ही वह इतना डरा ओर डर कर भागने में सफल नही हो पाया, जिसकी वजह से उसकी वही मौत हो गई थी। पति के मृत्यु के बाद भी उस विधवा महिला के घर मे बार बार हाथियों का धावा बोलना विधान बन गया है।

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पूर्व में घटित घटना का मुआवजा शायद ही इस महिला को कोई दे पाएगा और आज फिर से उसकी आंखें नम हो गई है जिसकी व्यथा और हालात शासन प्रसाशन को नजर नहीं आती, उसे तो केवल कागजों में लिखा हुआ सत्यापित कॉपी चाहिए जो झूठ की बुनियाद पर भी बनाई जा सकती है और ना जाने कितने घर और कितने परिवार होंगे जो इस तरह के तकलीफों से जूझते हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।