Reported By: Jitendra Soni
,Chironji Seeds/Image Credit: IBC24
Chironji Seeds: जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के जंगलों में पाए जाने वाले बेशकीमती चिरौंजी बेचकर ग्रामीण लाखों रुपए कमा रहे हैं। क्षेत्र के किसान अब चिरौंजी बेचकर आय का अच्छा स्त्रोत बना रहे हैं। महज डेढ़ महीने तक ही पेड़ में रहने वाला चिरौंजी किसानों को मालामाल कर रहा है। बता दें कि, मई के अंतिम महीने तक पेड़ में फल लगा रहता है। इसके बाद इसका फल झड़ कर खत्म हो जाता है। इन डेढ़ महीनों में किसान पेड़ पर लगी चिरौंजी तोड़कर अपनी आमदनी का प्रमुख जरिया बना चुके हैं। अंदरुनी व पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवार के लिए आय का बेहतर साधन बन गया है। इससे लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है।
200 से 300 रुपये किलो तक बिक रहा चिरौंजी
दरअसल, जशपुर के जंगलों में बेशकीमती चिरौंजी बाजार में 200 से शुरु होकर 300 रुपये किलो तक बिक रहा है। दाम ज्यादा मिलने से जंगल में चिरौंजी तोड़ने ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। जशपुर जिले के चिरौंजी के दाने का दूसरे राज्यों व शहरों में सबसे ज्यादा डिमांड है। इनके बीज उड़ीसा, कानपुर, बैंगलोर, कलकत्ता, नागपुर, दिल्ली, जयपुर जैसे शहरों में अधिक जाता है। इन शहरों में चिरौंजी के बीज 3500 से 4 हजार रुपए तक बिकता है। इसे मशीन में अच्छी तरह से सफाई कर उत्पाद तैयार किया जाता है।
करीब 5 साल में तैयार होता है पौधा
बता दें कि, इसके पौधे तैयार होने में करीब 5 साल लग जाते हैं। इस साल बेमौसम बारिश व ओलावृिट के कारण इनके फूल झड़ गए। इससे उत्पादन में कमी आई है। एक पेड़ में 10 किलो तक बीज निकलता है। काफी परिश्रम के बाद चार के बीज निकाला जाता है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि, चिरौंजी को आम बोलचाल में चार(चिरौंजी) कहते है। जशपुर जिले में यह बहुयात मात्रा में पाई जाती है। इसकी सबसे ज्यादा कानपुर, बैंगलोर, नागपुर में डिमांड रहती है, लेकिन गांव के भोले-भाले नासमझ ग्रामीण इसे सेठ व्यापारियों को औने-पौने दामो में खरीदकर बड़े शहरों में महंगे कीमत पर बेचकर मालामाल होते है। यह फसल अंदरूनी और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण साधन है।
किसानों की आय में हुआ इजाफा
इस समय में चिरौंजी की कीमत बाजार में 200 से 250 रुपए प्रति किलो तक मिल रही है, और उच्च गुणवत्ता वाली चिरौंजी के दाम 300 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं। बढ़ती कीमतों के कारण जशपुर वन मंडल के जंगलों में चिरौंजी तोड़ने वाले ग्रामीणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके महंगे होने की वजह से न केवल जशपुर बल्कि बस्तर जिले से भी चिरौंजी का उत्पादन किया जाता है, जिससे इलाके के किसानों की आय में इजाफा हुआ है। इस व्यापार के जरिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार महसूस कर रहे हैं और चिरौंजी का व्यवसाय उनके लिए आय का महत्वपूर्ण साधन बन चुका है।
चिरौंजी के फायदे
चिरौंजी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है साथ ही इसके पाउण्डर से मिठाई बिस्कुट सहित अन्य चीज बनाई जाती हैं। सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष गोमती साय ने बताया कि जंगलो पाए जानेवाली वनोउपज को सरकार खरीदने के लिस प्रतिबद्ध है। लेकिन ग्रामीणों को जानकारी नही मिलने के कारण बिचौलियों बेचने से उनकी सही कीमत नही मिल पाती है। शासन द्वारा चयनिय जगहों पर खरीदी होने से लोगों को जानकारी नही मिल पाती है। इसके लिए किसानों में जागरूकता लाकर इसकी खरीदी की जाएगी, उन्होंने किसानों से बिचौलियों नहीं बल्कि शासन को बेचने के अपील की है।