मुख्यमंत्री बघेल की उपस्थिति में तीन दिवसीय माता कौशल्या महोत्सव समापन, पर्यटकों की सुविधा के लिए टूरिज्म कैफे का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री बघेल की उपस्थिति में तीन दिवसीय माता कौशल्या महोत्सव समापन! Mata Kaushalya mahotsav of End

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  • Publish Date - April 24, 2023 / 09:16 PM IST,
    Updated On - April 24, 2023 / 09:17 PM IST

Mata Kaushalya mahotsav

रायपुर। Mata Kaushalya mahotsav मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भगवान श्रीराम के ननिहाल और माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी में तीन दिवसीय माता कौशल्या महोत्सव का आज समापन किया। माता कौशल्या महोत्सव को महिला सशक्तिकरण की थीम पर मनाया गया। आस्था और भक्ति से ओतप्रोत इस महोत्सव में छत्तीसगढ़ सहित देश के ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन भी किया गया।

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Mata Kaushalya mahotsav उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी के वैभव को विश्व पटल पर स्थापित करने, प्रदेश की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने, महिला सशक्तिकरण, कार्यशील कलाकारों के संरक्षण, संवर्धन एवं कला दलों के सतत् विकास हेतु इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर माता कौशल्या महोत्सव मनाने की घोषणा की थी।

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पर्यटन कैफे का हुआ उद्घाटन

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माता कौशल्या महोत्सव के समापन अवसर पर मंदिर परिसर में स्थित पर्यटन विभाग द्वारा तैयार टूरिज्म कैफे का भी उद्घाटन किया। पयर्टन कैफे शुरू होने से अब यहां आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को छत्तीसगढ़ी व्यंजन सहित मिलेट्स से तैयार किए गए खाद्य उत्पाद उपलब्ध होंगे। इस कैफे के शुरू होने से श्रद्धालुओं को छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा और पर्यटक भी छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से रूबरू हो सकेंगे.

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महिला स्व-सहायता समूह की स्टॉलों दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार लगातार काम कर कर रही है। मेला, उत्सवों एवं अन्य प्रदर्शनी आदि कार्यक्रमों के अवसर पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विक्रय एवं प्रचार-प्रसार हेतु उनको बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। माता कौशल्या महोत्सव के मौके पर भी महिला स्व-सहायता द्वारा उत्पादित वस्तुओं को विक्रय के लिए विशेष तौर पर नौ स्टॉल तैयार किए गए थे। महिलाओं द्वारा संचालित इन स्टालों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक देखने को मिली।

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