3 पूर्व IAS समेत इन नामचीन लोगों के ठिकानों पर ACB-EOW की कार्यवाही, शराब घोटाले को लेकर एक्शन में एजेंसियां

ACB-EOW action on 3 former IAS officers: इस पूरे प्रकरण में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को ही मास्टर माइंड बताया गया है। क्योंकि इनके जरिए ही सिंडीकेट बनाया गया और पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया।

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  • Publish Date - February 25, 2024 / 02:22 PM IST,
    Updated On - February 25, 2024 / 02:22 PM IST

रायपुर। प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय हुए शराब घोटाला मामले में दर्ज एफआईआर के बाद एसीबी ईओडब्ल्यू की टीम ने प्रदेश के कई जिलों में शराब कारोबारियों और पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत आबकारी विभाग के अधिकारियों के यहां छापामार कार्यवाही शुरू की है। केंद्रीय एजेंसी ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज की थी। जिसकी जांच से जोड़कर ये छापामार कार्यवाही देखी जा रही है। इस पूरे प्रकरण में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को ही मास्टर माइंड बताया गया है। क्योंकि इनके जरिए ही सिंडीकेट बनाया गया और पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया।

परिवार वालों के नाम पर निवेश किया रकम

FIR में शामिल बाकी आईएएस व अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। FIR के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजुला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड था।

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वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।इसके अलावा एफआइआर में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। वहीं, तत्कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये, जबकि विभागीय सचिव आइएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की ओर से 50 लाख रुपये महीने दिया जा रहा था।

एफआईआर में किसका नाम?

एफआईआर में अनिल टूटेजा, यश टूटेजा, विवेक ढांड, अनवर ढेबर, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लकमा, अरूणपति त्रिपाठी, आइएएस निरजंन दास, आबकारी आयुक्त, जनार्दन कौरव, अनिमेश नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, आशीष श्रीवास्तव, अशोक कुमार सिंह, मोहित कुमार जायसवाल, नीतू नोतानी, रविश तिवारी, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर, सोनल नेताम, अरविंद सिंह, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, नवनीत गुप्ता, पिंकी सिंह, विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, नितेश पुरोहित, यश पुरोहित, अभिषेक सिंह, मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा, विजय भाटिया, आशीष सौरभ, सिद्धार्थ सिंघानिया, बच्चा राज लोहिया, अमित मित्तल, उदयराव, लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, विधू गुप्ता, दीपक दुआरी, दीपेन चावडा, उमेर ढेबर, जुनैद ढेबर, अख्तर ढेबर, अशोक सिंह, सुमीत मलो, रवि बजाज, अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारी, अन्य आबकारी अधिकारी, विकास अग्रवाल के साथीगण एवं अन्य के खिलाफ षडयंत्र रचकर धोखाधडी करने की धाराओ में मामला दर्ज किया है।

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2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार : EOW

शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि 2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। शराब की बिक्री में प्रदेश को मिलने वाले राजस्व की लूट का हिस्सा राज्य में सरकार चला रहे नेताओं के पास भी जाता था। फिलहाल सभी स्थानों जिनमे बिलासपुर सरगांव स्थित भाटिया डिस्टलरी, कोटा स्थित वेलकम डिस्टलरी, कुम्हारी दुर्ग स्थित केडिया डिस्टलरी, रायपुर स्थित अनवर ढेबर, विवेक ढांड समेत अनिल टुटेजा के ठिकानों पर एसीबी ईओडब्ल्यू की टीमों की दबिश कार्यवाही जारी है।

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