IBC24 Mind Summit Live / Image Source: IBC24
IBC24 Mind Summit Live रायपुर : छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने आज अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। इन दो वर्षों में सरकार ने किन चुनौतियों का सामना किया, अपने चुनावी वादों को किस हद तक जमीन पर उतारा और शासन–प्रशासन के स्तर पर क्या ठोस बदलाव किए ? इन्हीं अहम सवालों के जवाब तलाशने के लिए IBC24 ने ‘माइंड समिट 2025′ स्टूडियो एडिशन’ का आयोजन किया। IBC24 द्वारा आयोजित माइंड समिट में मंच पर
स्वास्थ्य चिकित्सा और शिक्षा मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल शामिल हुए।
IBC24 Mind Summit Live इस स्पेशल सेशन में मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अपने दो साल के अनुभव साझा किए और आने वाले समय में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा पर चर्चा की। उन्होंने विकास कार्यों और भविष्य की योजनाओं को लेकर अपनी स्पष्ट सोच रखी।
IBC24 के मंच पर उनसे पिछड़ा वर्ग के कल्याण को लेकर सवाल किया गया। जवाब में उन्होंने बताया कि उनके पास तीन प्रमुख विभाग हैं। अल्पसंख्यक विभाग के अंतर्गत आने वाले समय में सिख, बौद्ध, जैन, मुस्लिम और ईसाई समुदायों के लिए शिक्षा और जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए नई योजनाएं लाई जाएंगी।
IBC24 Mind Summit Live जहां तक ओबीसी वर्ग की बात है, तो देश और प्रदेश में सबसे अधिक बहुलता इसी वर्ग की है। छत्तीसगढ़ में भी लगभग आधी आबादी ओबीसी की है। इस दृष्टि से पूर्व में भी, चाहे डॉ. रमन सिंह जी के नेतृत्व में 15 वर्षों की हमारी सरकार रही हो या केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की तीन कार्यकाल वाली सरकार, पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए लगातार अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई हैं।
सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शिक्षा है। ‘प्रयास’ विद्यालय के माध्यम से पिछड़े वर्ग के लोगों को प्रदेश में बड़ा लाभ मिल रहा है। वर्तमान में बिलासपुर और रायपुर संभाग में संचालित प्रयास विद्यालयों की तर्ज पर, आगामी समय में शेष तीन संभागों में भी प्रयास विद्यालय खोले जाएंगे। इस तरह प्रदेश के सभी संभागों में एक-एक प्रयास विद्यालय होगा और निश्चित रूप से इससे ओबीसी वर्ग को व्यापक लाभ मिलेगा।
दूर-दराज़ के क्षेत्रों के अल्पसंख्यक या पिछड़े वर्ग के समुदायों को अक्सर यह महसूस होता है कि उनके लिए योजनाएं तो हैं, लेकिन उन तक उनकी पहुंच नहीं होती। कई बार उन्हें यह भी जानकारी नहीं होती कि सरकार की ओर से योजनाएं संचालित की जा रही हैं। ऐसे में सरकार इस गैप को कैसे भरेगी?
संभागीय मुख्यालयों पर जब कोई काम किया जाता है, तो उसका लाभ नीचे के स्तर तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाता। इसलिए अब हम संभागीय मुख्यालय से नीचे भी इस तरह के विद्यालय खोलने पर विचार कर रहे हैं। ‘प्रयास’ जैसी संस्थाओं के तहत यह देखा जाएगा कि संभाग के अंतर्गत कोई ऐसा सुलभ मध्यवर्ती जिला कौन सा हो, जहां लोग आसानी से पहुंच सकें। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए ‘प्रयास’ आवासीय विद्यालय खोले जाएंगे। इनमें बच्चे रहकर पढ़ाई करेंगे और आगे चलकर पीएससी, आईएएस, मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में जाकर अपना नाम रोशन करेंगे और वहां अपनी जगह बनाएंगे।