bjp and congress on lord ram: रायपुर। देश हो या प्रदेश, ये पक्ष हो यो वो पक्ष हर अब सियासत भी राम भरोसे है, ये कहना गलत ना होगा.. धर्म यूं तो बेहद निजी आस्था और भावना का मामला है लेकिन इसका सियासी इस्तेमाल होना अब आम बात है…ये भी सच है कि राम नाम का सहारा भाजपा के लिए कई बार पॉलिटिकल संजीवनी साबित हुआ है, पर अब इस विधा में कांग्रेस भी पीछे नहीं है…वो भी भांचा राम को अपने साथ बताकर भाजपा को सियासी मात देने की तैयारी में है…जिसपर भाजपा, कांग्रेस नेताओं के पिछले बयानों और कृत्यों के बहाने घेर रही है…तो आज इसी पर होगी सीधे बहस…राम किसके साथ ? किसे है दिक्कत ?
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जा पर कृपा राम की होई । ता पर कृपा करे सब कोई ।। रामचरित मानस के इस दोहे की महिमा राजनेता भी खूब समझते हैं। जिसने राम का दामन थाम लिया, समझो उसका बेड़ा पार हुआ । श्रीराम का नाम लेकर बीजेपी कई बार चुनावी वैतरणी पार कर चुकी है और अब कांग्रेस भी उसी मार्ग पर है। यही वजह है कि आदिवासियों को हिंदुओं से अलग बताने वाले कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा राम की शऱण में दंडत्व हो रहे हैं तो दूसरे कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत कांग्रेस सरकार पर राम की कृपा बता रहे हैं।
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कांग्रेस पर राम की कृपा तक तो सब ठीक है लेकिन मंत्री जी का ये कहना कि भाजपा नेताओं के मुंह में राम, बगल में छुरी है.. ये बात भाजपा नेताओं को बिलकुल नागवार गुजरी।
इसके अलावा पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने ट्वीट कर मंत्री कवासी लखमा पर सवाल उठाए हैं। सवाल तो ये भी है कि किस राजनीतिक दल पर भगवान राम की कृपा है और क्या राम के बिना चुनाव में बेड़ा पार नहीं होगा ?
-ब्यूरो रिपोर्ट, आईबीसी24