रायपुर। Research on the life cycle : एक समय पर अपनी स्कूल की फीस तक नहीं दे पाने वाले एन.के चक्रधारी आज तारों में होने वाली विस्फोट पर रिसर्च कर रहे है । आईबीसी 24 आपको ऐसे एक व्यक्ति के बारे में बताने जा रहा है। जिसका बचपन बहुत मुश्किलों से बीता. लेकिन पढ़ाई में उनकी रुचि देख उनके टीचर और कॉलेज के प्रोफेसरों ने उनका सपोर्ट किया। उनको सही गाइडेंस दी। जिसके बाद उस व्यक्ति ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन में भी काम किया। आज वह पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी में सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर है।
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सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर एन.के चक्रधारी बताते है कि उन्होंने तारों के जीवन चक्र पर रिसर्च किया है। तारों की जिंदगी डिपेंड करती है कि उसमें कितना गैस है। तारों का अधिकतम भाग हाइड्रोजन गैस से बना होता है। हाइड्रोजन हिलियम में बदलता है। हिलियम ऑक्सीजन में और ऐसे कर कर वह आयरन तक जाता है, लेकिन आयरन का फ्यूजन नहीं हो पाता। जब इंधन खत्म हो जाता है तो गुरुत्वाकर्षण के वजह से तारों का कोर सिकुड़ता है और आउटर लेयर बढ़ने लगता है। इसी तरह कोर सिकुड़ता हुआ एक एक्सटेंशन पॉइंट पर आ जाता है, जिसके बाद वह नहीं सिकुड़ पाता और वह ब्लास्ट हो जाता है।
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