Chhattisgarh Coal Scam Case: जेल से बाहर आई सौम्या चौरसिया और रानू साहू, समीर विश्नोई भी साथ में आए नजर

Chhattisgarh Coal Scam Case: जमानत मिलने के बाद आज यानी शनिवार को सौम्या चौरसिया और रानू साहू जेल से बाहर आ गई है।

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  • Publish Date - May 31, 2025 / 11:03 AM IST,
    Updated On - May 31, 2025 / 11:22 AM IST

Chhattisgarh Coal Scam Case/ Image Credit: IBC24 File Photo

HIGHLIGHTS
  • जमानत मिलने के बाद आज यानी शनिवार को सौम्या चौरसिया और रानू साहू जेल से बाहर आ गई है।
  • समीर विश्नोई भी जेल से बाहर निकले हैं।
  • सौम्या चौरसिया और रानू साहू के परिजन उन्हें लेने के लिए जेल परिसर पहुंचे थे।

रायपुर: Chhattisgarh Coal Scam Case: कोयला लेवी घोटाले में फंसे छत्तीसगढ़ के निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी और पूर्व सीएमओ सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने गुरूवार को बड़ी राहत देते हुए सख्त शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दे दी थी। वहीं जमानत मिलने के बाद आज यानी शनिवार को सौम्या चौरसिया और रानू साहू समेत कुल 6 आरोपी जेल से रिहा हो गए हैं। इतना ही नहीं समीर विश्नोई भी जेल से बाहर निकले हैं। सौम्या चौरसिया और रानू साहू के परिजन उन्हें लेने के लिए जेल परिसर पहुंचे थे। सूर्यकांत समेत कुल 3 लोगों को DMF घोटाले में जमानत नहीं होने के चलते जेल में ही रहना होगा।

मिली जानकारी के अनुसार, सौम्या चौरसिया 2 साल 5 महीना 29 दिन तक जेल रही। वहीं निलंबित आईएएस रानू साहू 1 साल 10 महीना 9 दिन और निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई 2 साल 7 महीना 18 दिन बाद जेल से बाहर से निकले हैं।

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इन शर्तों पर सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

Chhattisgarh Coal Scam Case: आपको बता दें कि, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने गुरूवार को यह निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया कि, इन आरोपियों के गवाहों को प्रभावित करने की आशंका को देखते हुए उन्हें फिलहाल छत्तीसगढ़ में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि अंतरिम जमानत के दौरान आरोपी राज्य से बाहर ही रहेंगे और न्यायालय द्वारा निर्धारित अन्य सभी शर्तों का पालन करना होगा। सभी आरोपी करीब दो साल बाद जेल से बाहर आए हैं।

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सिंडिकेट बनाकर की गई वसूली

बता दें कि, छत्तीसगढ़ में अवैध कोल लेवी वसूली का मामला ईडी की रेड में सामने आया था। दावा था कि, कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था। इसके लिए सिंडिकेट बनाकर वसूली की जाती थी। पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया। जो व्यापारी 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करता था। उसे ही खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी करता था। इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई।

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DMF घोटाला क्या है?

वहीं ED की रिपोर्ट के आधार पर ही EOW ने सभी आरोपियों पर धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया था। इस केस की जांच में यह निकलकर सामने आया था कि, डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गई। इतना ही नहीं इस दौरान टेंडर भरने वालो को अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया गया। ED के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर के साथ मिलकर करोड़ों रुपए कमाए गए।

कोयला लेवी घोटाला क्या है?

कोयला लेवी घोटाला छत्तीसगढ़ में खनिज विभाग के जरिए कोयला व्यापारियों से अवैध वसूली से जुड़ा मामला है, जिसमें करीब ₹570 करोड़ की वसूली हुई।

कोयला लेवी घोटाला में कौन-कौन आरोपी हैं?

इस घोटाले में IAS रानू साहू, पूर्व सीएमओ सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी और समीर विश्नोई प्रमुख आरोपी हैं।

क्या कोयला लेवी घोटाला और DMF घोटाला एक ही मामला है?

नहीं, दोनों अलग मामले हैं। कोयला लेवी घोटाला अवैध वसूली से जुड़ा है, जबकि DMF घोटाला टेंडरों में भ्रष्टाचार और फंड के दुरुपयोग से संबंधित है।

कोयला लेवी घोटाले की जांच कौन कर रहा है?

इस घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है, साथ ही राज्य की EOW ने भी इसमें केस दर्ज किया है।

क्या कोयला लेवी घोटाले में जमानत मिली है?

हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को सख्त शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी है, जिसमें छत्तीसगढ़ में न रहने और गवाहों से दूर रहने की शर्त शामिल है।