Reported By: Sunil Sahu
,Dhaskund Waterfall Video | Photo Credit: IBC24
बलौदाबाजार: Dhaskund Waterfall Video जिले में लगातार हो रही भारी बारिश ने जहां खेतों को हरियाली से भर दिया है, वहीं जिले के जलप्रपातों और नदी-नालों में पानी का बहाव भी चरम पर है। लेकिन इस जलधारा की खूबसूरती अब युवाओं के लिए एक नया खतरा बनती जा रही है। एक तरफ लोग जहां मानसून का लुत्फ उठाने परिवार के साथ प्राकृतिक जलप्रपातों की ओर खिंचे चले जा रहे हैं, वहीं कुछ “मनचले” युवक बारिश के इन नजारों को अपने रील और सेल्फी में कैद करने के लिए जान जोखिम में डाल रहे हैं।
Balodabazar News गुरुवार की शाम को एक ऐसा ही दर्दनाक वाकया बलौदाबाजार जिले के धसगुड़ जलप्रपात में हुआ, जब पलारी ब्लॉक के ग्राम छेरकापुर से आए तीन किशोर घूमने पहुंचे। इनमें से 15 वर्षीय निखिल साहू जलप्रपात की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ गया था, जहां से वह मनोरम दृश्य का आनंद ले रहा था। लेकिन प्राकृतिक सुंदरता की इस ऊँचाई पर उसकी एक चूक, भारी पड़ गई। एक पल की मस्ती, एक पल की चूक और निखिल सीधे 60-65 फीट ऊंचाई से नीचे पत्थरों पर गिरा।
उसके शरीर की चार हड्डियां टूट गईं, सिर और पीठ पर गहरे जख्म हैं। वो अस्पताल में ज़िंदगी से जंग लड़ रहा है। बताया जा रहा है कि निखिल का पैर काई जमे फिसलन भरे पत्थर पर फिसल गया और वह सीधे 60-65 फीट की ऊँचाई से नीचे पत्थरों पर जा गिरा। हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि निखिल के शरीर की चार हड्डियां टूट चुकी हैं और कई अंगों में गंभीर चोटें आई हैं। फिलहाल उसका इलाज बलौदाबाजार के एक निजी अस्पताल में चल रहा है और डॉक्टरों के मुताबिक वह अब खतरे से बाहर है, लेकिन चोटें गहरी हैं।
धसगुड़ जलप्रपात कोई छुपा हुआ ठिकाना नहीं है। बल्कि हर साल सैकड़ों लोग यहां पिकनिक, रील, फोटो, मस्ती और बारिश के मज़े लेने आते हैं। लेकिन यहां ना कोई फेंसिंग है, ना कोई चेतावनी बोर्ड, ना रेस्क्यू सिस्टम और ना कोई गार्ड। अगर कोई गिर जाए तो भाग्य भरोसे है। आज के दौर में “पिक्चर परफेक्ट मोमेंट” की तलाश में युवा किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
धसगुड़ जलप्रपात जैसे प्राकृतिक स्थलों पर रील बनाना, स्टंट करना, ऊंचाई से कूदना, ये अब ट्रेंड बन गया है। लेकिन यह ट्रेंड असंवेदनशीलता और लापरवाही की हदें पार करता जा रहा है। हर साल छत्तीसगढ़ और भारत के अन्य हिस्सों में दर्जनों युवा सेल्फी लेते वक्त हादसे के शिकार होते हैं। भारत को ‘सेल्फी डेथ कैपिटल’ कहा जाने लगा है।
बलौदाबाजार की ये घटना भी उसी खतरे की एक चेतावनी है सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जिले के प्रमुख जलप्रपातों, खासकर धसगुड़, गिरौदपुरी घाट, रानीदाह और मेघा जैसे क्षेत्रों में ना तो कोई चेतावनी बोर्ड लगे हैं, ना सुरक्षा गार्ड तैनात हैं और ना ही बैरिकेडिंग की व्यवस्था है। जबकि ये सभी स्थल बरसात के दिनों में हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिनमें सबसे बड़ी संख्या युवाओं और स्कूली बच्चों की होती है। क्या प्रशासन किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है? क्या हादसों के बाद ही बोर्ड लगेंगे, सुरक्षा जवान तैनात होंगे और नियम बनेंगे?
इस घटना ने एक बार फिर से माता-पिता, स्कूल और समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि युवाओं को सोशल मीडिया के दिखावे से दूर कैसे रखा जाए। रोमांच के नाम पर जिंदगी से खिलवाड़ करना अब सामान्य बन गया है। युवाओं को यह समझाना जरूरी है कि एक अच्छी फोटो के लिए अपना भविष्य या जीवन दांव पर लगाना कोई समझदारी नहीं है।