Manmohan Singh will contest the election of Vice President: आगरा। आगरा विश्वविद्यालय की व्यवस्था से परेशान होकर एक 72 वर्षीय बुजुर्ग उपराष्ट्रपति बनने की ठान ली है। वह आगरा विश्वविद्यालय से अपनी 46 साल पुरानी बीएससी की डिग्री लेने के लिए पहुंचा था, शख्स का नाम मनमोहन सिंह है और आगरा के कमला नगर क्षेत्र के निवासी हैं। मनमोहन सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय में व्याप्त तमाम समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए कसम खाई है और इसके लिए वे 72 साल की उम्र में उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ेंगे। उनका कहना है कि आगरा विश्वविद्यालय में ना तो छात्रों की समस्याओं का समाधान होता है और ना ही कोई कर्मचारी ढंग से काम करता है। इस व्यवस्था से तंग आकर उन्होंने ने ऐसा निर्णय लिया है।
मनमोहन सिंह ने 1977 में आगरा कॉलेज से बीएससी की थी। किसी कारण बस उन्होंने उस वक्त अपनी बीएससी की डिग्री नहीं ली थी, लेकिन जब उन्हें जरूरत पड़ी तो वह आगरा विश्वविद्यालय डिग्री लेने पहुंचे। इस दौरान कर्मचारियों ने उन्हें यह कहते हुए वापस लौटा दिया कि विवि के पास उनका शिक्षा संबंधी कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है, मनमोहन सिंह पिछले 20 दिनों से इस यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं।
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कमलानगर के ब्लॉक एफ 850 में रहने वाले मनमोहन सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय में जब वह डिग्री बनवाने के लिए आए तो उनसे कहा गया कि आपके कॉलेज द्वारा जो नामांकन संख्या दी गई है, उस पर किसी और का नाम है आपका रिकॉर्ड यहां मौजूद नहीं है, ऐसे में आप की डिग्री नहीं बन सकती। मनमोहन सिंह का कहना है कि उपराष्ट्रपति बनकर सबसे पहले उन कर्मचारियों की खाट खड़ी करेंगे जो समय से काम नहीं करते हैं। विश्वविद्यालय की व्यवस्था को सुधारने के लिए वे उपराष्ट्रपति बनना चाहते हैं।
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उनका कहना है कि आज यह विश्वविद्यालय सिर्फ समस्याओं का अड्डा बन गया है, यहां आने वाले सभी छात्र काफी परेशान होते हैं, आगरा विश्वविद्यालय ना तो समय से परीक्षाएं होती है, ना परिणाम आते हैं। छात्रों की समस्याओं का भी समाधान नहीं होता है। साल भर छात्र चक्कर काटते रहते हैं, सबसे ज्यादा भ्रष्ट कर्मचारी हैं। समय से काम नहीं करते है। सालों तक डिग्री और मार्कशीट लटकी रहती हैं, उपराष्ट्रपति बनने के बाद मैं इन सबको सबक सिखाऊंगा।