पहले आई ट्रेन को रोककर बाद वाली ट्रेन पहले क्यों निकालते हैं? जानें वजह |

पहले आई ट्रेन को रोककर बाद वाली ट्रेन पहले क्यों निकालते हैं? जानें वजह

Indian railway news: ट्रेन के चालक या गार्ड अपने साथ एक गोला या टोकन लेकर चलते हैं, हर रुकने वाले स्टेशन पर वह उसे वहां मौजूद स्टेशन मास्टर को देते हैं और वहां से दूसरा टोकन लेकर आगे बढ़ते हैं, यह बताता है कि आगे लाइन खाली है।

Edited By :   Modified Date:  August 3, 2023 / 04:59 PM IST, Published Date : August 3, 2023/4:59 pm IST

Indian railway news: नई दिल्ली। कई बार हम यह देखते हैं कि स्टेशन पर हमारी ट्रेन पहले पहुंचती है और हमारे सामने वाले प्लेटफॉर्म पर आपके विपरीत दिशा से बाद में आई ट्रेन को वहां से पहले रवाना कर दिया जाता है। तब हमारे मन में सवाल जरूर आता है कि ऐसा क्यों किया गया, जबकि हॉल्ट टाइमिंग तो आपकी ट्रेन की भी 2 ही मिनट थी फिर इसे ज्यादा देर क्यों खड़ा रखा गया। इसका जवाब रेलवे के कर्मचारी भी बहुत कम दे पाते हैं। इसके विषय में जानकारी या तो स्टेशन मास्टर को होती है या फिर सिग्नलिंग में काम कर रहे किसी दूसरी रेल कर्मी को।

रेलवे के सिग्नलिंग विभाग में काम कर चुके एक रेलकर्मी ने इसका जवाब दिया है, वह सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी हैं और उन्होंने बताया कि इसके पीछे लाइन क्लियर न होना वजह है। वह कहते हैं कि ऐसा सिंगल लाइन वाले सेक्शन में ही देखने को मिलता है, ऐसे सेक्शन में लगभग एक ही समय पर एक जगह पार करने वाली ट्रेनों को किसी स्टेशन पर रोककर एक-दूसरे से पार कराया जाता है, इसे क्रॉसिंग कहते हैं।

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उदाहरण के लिए यहां देखें

मान लीजिए कि एक ट्रेन A से B की ओर आ रही है। वहीं, दूसरी ट्रेन C से B की ओर आ रही है। यह तीनों स्टेशन एक सीध में हैं। A पूर्व दिशा में है तो C पश्चिम में, और इनके बीच में B है। अब A से आने वाली ट्रेन B पर पहले पहुंच गई। इस ट्रेन को लूप लाइन पर लेकर प्लेटफॉर्म पर लगा दिया जाएगा। इसके कुछ देर बाद दूसरी दिशा यानी C की ओर से आई ट्रेन को दूसरी लूप लाइन पर लेकर खड़ा किया जाएगा और फिर उसे वहां से निकाल दिया जाएगा। जबकि A से वहां पहले पहुंची ट्रेन को कुछ मिनट बाद वहां से रवाना किया जाएगा। सवाल यही है कि ऐसा किया क्यों जाता है।

जानें कारण?

यह काम सिग्नलिंग विभाग या फिर स्टेशन मास्टर के संज्ञान में ही होता है, इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि A से चली ट्रेन जैसे ही B स्टेशन पर पुहंची C से आ रही ट्रेन के लिए रास्ता क्लियर ले लिया जाता है, अब C से आई ट्रेन अपना मेटल टोकन लेकर 2 मिनट बाद स्टेशन से चल पड़ेगी और A स्टेशन की ओर बढ़ जाएगी, दूसरी ओर, A से ट्रेन के लिए मैटल टोकन उसके वहां पहुंचने के बाद लिया जाता है, मैटल टोकन लेने में 2-3 मिनट का समय लगता है, इसलिए पहले पहुंचने के बावजूद स्टेशन A से आई ट्रेन बाद में वहां से निकलती है, सीधे शब्दों में कहें तो स्टेशन C आ रही ट्रेन के B स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही उसके लिए क्लियरिंग टोकन ले लिया गया था, वहीं, A से ट्रेन भले ही पहले आ गई हो लेकिन उसके लिए टोकन तभी लिया गया जब C वाली ट्रेन स्टेशन पर आकर खड़ी हुई।

मेटल टोकन क्या होता है?

ट्रेन के चालक या गार्ड अपने साथ एक गोला या टोकन लेकर चलते हैं, हर रुकने वाले स्टेशन पर वह उसे वहां मौजूद स्टेशन मास्टर को देते हैं और वहां से दूसरा टोकन लेकर आगे बढ़ते हैं, यह बताता है कि आगे लाइन खाली है। A-B-C के उदाहरण से समझें तो C से आई ट्रेन ने जब B पर स्टेशन मास्टर को टोकन दिया तब उसने A से आई ट्रेन के लिए अगले स्टेशन यानी C के स्टेशन मास्टर से लाइन क्लियर मांगी, यह लाइन क्लियर टोकन की मदद से ही दी जाती है, टोकन निकालने के लिए ब्लॉक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है, एक बार टोकन मिलने के बाद फिर उसे ट्रेन के ड्राईवर को दे दिया जाता है और ट्रेन आगे बढ़ जाती है।

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