Air India plane crash: ‘पायलट की गलती बताना…’, एयर इंडिया प्लेन क्रैश की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट कही ये बात, केंद्र और DGCA से मांगा जवाब

एअर इंडिया विमान दुर्घटना: न्यायालय ने स्वतंत्र जांच संबंधी याचिका पर केंद्र, डीजीसीए से जवाब मांगा

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  • Publish Date - September 22, 2025 / 05:04 PM IST,
    Updated On - September 22, 2025 / 05:07 PM IST

Air India plane crash | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा – प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की गलती बताना गैर-जिम्मेदाराना
  • याचिका में आरोप – महत्वपूर्ण तकनीकी डेटा छिपाया गया है
  • हादसे में 241 लोगों की मौत, सिर्फ एक यात्री जीवित बचा

नयी दिल्ली: Air India plane crash उच्चतम न्यायालय ने 12 जून को एअर इंडिया विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि वायुयान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की गलती की ओर इशारा करने वाले कुछ पहलू “गैर-जिम्मेदाराना” हैं। न्यायालय ने इस मामले में केंद्र और नागर विमानन महानिदेशक को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 12 जुलाई को जारी एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर गौर किया।

Air India plane crash गैर-सरकारी संगठन ‘सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन’ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दुर्घटना के बाद गठित जांच समिति में तीन सदस्य विमानन नियामक से थे और इसमें हितों के टकराव की आशंका हो सकती है। उन्होंने विमान के ‘फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर’ की जानकारी जारी करने का अनुरोध किया ताकि दुर्घटना के कारणों का पता चल सके। सुनवाई करने वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में गोपनीयता, निजता और गरिमा से जुड़े पहलू हैं। उसने कहा कि दुर्घटना की अंतिम रिपोर्ट पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए।

पीठ ने आगाह किया कि कुछ विशेष प्रकार की जानकारी जारी करने का गलत फायदा प्रतिस्पर्धी विमानन कंपनियां उठा सकती हैं। साथ ही कहा कि वे केवल दुर्घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित जांच के सीमित पहलू पर नोटिस जारी कर रहे हैं। कैप्टन अमित सिंह (एफआरएईएस) के नेतृत्व वाले विमानन सुरक्षा एनजीओ ‘‘कॉन्स्टिट्यूशन बाय सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन’’ द्वारा यह याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आधिकारिक जांच नागरिकों के जीवन, समानता और असल जानकारी तक पहुंच के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

याचिका में कहा गया है कि एएआईबी ने 12 जुलाई को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में हादसे का कारण “फ्यूल कटऑफ स्विच” को ‘रन’ से “कटऑफ” स्थिति में बदलना बताया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह पायलट की गलती थी। इसमें आरोप लगाया गया है कि रिपोर्ट में महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाया गया है, जिसमें पूर्ण ‘डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर’ (डीएफडीआर) आउटपुट, ‘कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) ट्रांसक्रिप्ट’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक एयरक्राफ्ट फॉल्ट रिकॉर्डिंग’ (ईएएफआर) डेटा शामिल हैं। याचिका के अनुसार, इन जानकारियों के बिना दुर्घटना की पारदर्शी और निष्पक्ष समझ संभव नहीं है।

लंदन जाने वाला बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान 12 जून को अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के तुरंत बाद एक मेडिकल कॉलेज के छात्रावास से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में विमान में सवार 242 लोगों में से एक को छोड़कर बाकी सभी की मौत हो गई थी। दुर्घटना में मारे गए 241 लोगों में 169 भारतीय, 52 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली, 1 कनाडाई और चालक दल के 12 सदस्य शामिल थे। इस हादसे में चमत्कारिक रूप से जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति विश्वासकुमार रमेश थे, जो एक ब्रिटिश नागरिक हैं।

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एअर इंडिया विमान हादसा कब और कहां हुआ था?

यह हादसा 12 जून को अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के तुरंत बाद हुआ था।

इस हादसे में कितने लोग मारे गए?

हादसे में कुल 241 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक यात्री जीवित बचा।

सुप्रीम कोर्ट ने एएआईबी की रिपोर्ट पर क्या टिप्पणी की?

कोर्ट ने कहा कि पायलट की गलती बताना “गैर-जिम्मेदाराना” है और केवल अंतिम रिपोर्ट पर ध्यान दिया जाना चाहिए।