‘हम अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं मानते…’ शंकराचार्य पद को लेकर अखाड़ा परिषद ने जताई आपत्ति

'हम अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं मानते...' शंकराचार्य पद को लेकर अखाड़ा परिषद ने जताई आपत्ति : Akhara Parishad objected to the post of Shankaracharya

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  • Publish Date - September 24, 2022 / 10:24 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

नई दिल्ली। Jyotishpeeth Shankaracharya : ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य पद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य घोषित किए जाने को लेकर विवाद पैदा हो गया है। दरअसल, सभी सात दशनामी सन्यासी अखाड़ों ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया है।

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मिली जानकारी के अनुसार ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य बनाया जाना था, लेकिन अब इसे लेकर विवाद किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य बनाये जाने को लेकर सभी सात दशनामी अखाड़ों ने उन्हें शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया है। बताया गया कि इस मामले में निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य घोषित किए जाने को नियम विरुद्ध बताया और कहा कि जल्द ही सभी संन्यासी अखाड़ों की इस मुद्दे पर बैठक कर नए शंकराचार्य के बारे में रणनीति तय की जाएगी

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शंकराचार्य घोषित करने पर दशनामी संन्यासी अखाड़े नाराज

आपकी जानकारी एक लिए बता दें कि ज्योतिषपीठ और द्वारका शारदा पीठ के ज्योतिषपीठ पर शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के बाद उनकी वसीयत के आधार पर उनके शिष्य सुबूद्धानंद ने अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ का नया शंकराचार्य घोषित किया गया था। इसके बाद अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य घोषित किए जाने से सभी दशनामी संन्यासी अखाड़े नाराज हो गए। इस बीच महंत रविंद्रपुरी ने कहा कि शंकराचार्य की नियुक्ति की एक प्रक्रिया है और संन्यासी अखाड़ों की सहमति के बाद काशी विद्वत परिषद शंकराचार्य की नियुक्ति करती है।

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हम उन्हें शंकराचार्य नहीं मानते

इसके बाद महंत रविंद्रपुरी ने कहा कि ‘स्वरुपानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी जगह अविमुक्तेश्वरानंद को जल्दबाजी में सन्यासी अखाड़ों से विचार-विमर्श किए बिना ही ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य घोषित कर दिया गया।’ पुरी ने कहा कि ‘वह अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं मानते हैं। पुरी ने कहा कि वैसे भी ज्योतिषपीठ दशनामी संन्यासियों में गिरी नामक संन्यासी परम्परा के संन्यासी को ही पीठ पर नियुक्त किया जाता है। जल्द ही सभी संन्यासी अखाड़ों की बैठक में ज्योतिषपीठ के नए शंकराचार्य का नाम तय करने के लिए रणनीति बनाई जाएगी।’

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बता दें शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन हो गया। उसके बाद शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के निजी सचिव सुबोद्धानंद महाराज ने अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिषपीठ का नया शंकराचार्य घोषित किया था। जिसे लेकर अब विवाद उठा है।

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