दीफू (असम), 24 दिसंबर (भाषा) असम के वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिले में हिंसा में एक दिव्यांग व्यक्ति की मौत के विरोध में बुधवार को बंगाली समुदाय के लोगों के अलावा बड़ी संख्या में हिंदी भाषी लोग भी प्रदर्शन में शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को युवक की हत्या के विरोध में नारेबाजी करते हुए लंका-खेरोनी रोड को जाम कर दिया।
खेरोनी इलाके में 25 वर्षीय व्यक्ति को उसके घर के अंदर जिंदा जला दिया गया। इस इलाके में आदिवासी कार्बी के साथ-साथ बिहारी, बंगाली और नेपाली समुदाय के लोग रहते हैं।
बंगाली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुरेश डे का शव उस इमारत से बरामद किया गया, जिसे कथित तौर पर कार्बी लोगों की भीड़ ने आग लगा दी थी। डे हिंसा में मारे गए दो लोगों में से थे। घटना में 38 पुलिस कर्मियों सहित 45 अन्य घायल हो गए। दूसरा मृतक कार्बी समुदाय से था और कथित तौर पर पुलिस गोलीबारी में मारा गया था।
प्रदर्शनकारियों में से एक ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी चाहते हैं, जिसने एक दिव्यांग व्यक्ति को उसके घर के अंदर बंद करके मार डाला। कार्बी आंगलोंग में जो कुछ भी हो रहा है वह नहीं होना चाहिए था।’
भीड़ को शांत करने के लिए मौके पर पहुंचे पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विवेक राज सिंह ने प्रदर्शनकारियों से कानून अपने हाथ में नहीं लेने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘अन्यथा, आपको भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कृपया फर्जी खबरों पर विश्वास न करें और अफवाहें न फैलाएं।’
उन्होंने शांति की अपील करते हुए कहा, ‘हम अब समग्र स्थिति में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। डीजीपी क्षेत्र में हैं और हालात पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।’
प्रदर्शनकारियों ने उन्हें ज्ञापन सौंपकर मृतक के परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की।
बंगाली भाषी समुदाय के लोगों ने हत्या को लेकर पड़ोसी होजई जिले में भी प्रदर्शन किया।
हिंदी भाषी लोगों द्वारा आदिवासी इलाकों में ग्राम चरागाह रिजर्व (वीजीआर) और व्यावसायिक चरागाह रिजर्व (पीजीआर) पर अतिक्रमण के आरोपों को लेकर कार्बी और बिहारी समुदायों के सदस्य आमने-सामने हैं।
पुलिस ने कहा कि कार्बी आंगलोंग और वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिलों में स्थिति अब नियंत्रण में है।
भाषा आशीष पवनेश
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