भोपाल गैस त्रासदी: रुपये का अवमूल्यन अतिरिक्त मुआवजे का आधार नहीं हो सकता, कंपनियों ने कहा

भोपाल गैस त्रासदी: रुपये का अवमूल्यन अतिरिक्त मुआवजे का आधार नहीं हो सकता, कंपनियों ने कहा

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  • Publish Date - January 12, 2023 / 09:11 PM IST,
    Updated On - January 12, 2023 / 09:11 PM IST

नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी कंपनियों ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि 1989 में कंपनी और केंद्र के बीच समझौता होने के बाद से रुपये का अवमूल्यन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अब अतिरिक्त मुआवजा मांगने का आधार नहीं हो सकता।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 1984 की त्रासदी के पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये की मांग करने वाली केंद्र की उपचारात्मक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

भोपाल गैस त्रासदी में 3000 से अधिक लोग मारे गए थे और इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा था।

प्रतिवादियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ से कहा कि भारत सरकार ने कभी भी समझौते के समय यह नहीं कहा कि मुआवजा अपर्याप्त था।

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि अब अदालत के सामने यह तर्क दिया गया है कि समझौता अपर्याप्त हो गया है क्योंकि रुपये में गिरावट आई है।

साल्वे ने कहा, ‘‘1989 में वापस जाएं और तुलना करें…लेकिन वह (अवमूल्यन) अतिरिक्त मुआवजे के लिए आधार नहीं हो सकता। 715 करोड़ रुपये का समझौता हुआ था क्योंकि 1987 में एक जिला न्यायाधीश द्वारा एक न्यायिक आदेश पारित किया गया था।’’

शीर्ष अदालत ने हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख और अधिवक्ता करुणा नंदी को भी सुना।

केंद्र 1989 में हुए समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिकी कंपनी से प्राप्त 715 करोड़ रुपये के अलावा अमेरिका-आधारित यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये और चाहता है।

केंद्र ने मुआवजा बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में शीर्ष अदालत में उपचारात्मक याचिका दायर की थी।

सात जून 2010 को भोपाल की एक अदालत ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के सात अधिकारियों को दो साल की कैद की सजा सुनाई थी।

यूसीसी का तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एंडरसन इस मामले में मुख्य अभियुक्त था, लेकिन वह मुकदमे के लिए उपस्थित नहीं हुआ।

भोपाल सीजेएम अदालत ने एक फरवरी 1992 को उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। सितंबर 2014 में उसकी मृत्यु से पहले भोपाल की अदालतों ने 1992 और 2009 में दो बार एंडरसन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव