मैसूरु, 22 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य विधानसभा द्वारा पारित नफरती भाषण संबंधी विधेयक का विरोध कर रही है, क्योंकि वह कथित तौर पर घृणास्पद और भड़काऊ भाषण देने में शामिल है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने समाज में शांति और भाईचारा बनाए रखने और नफरत भरे भाषणों पर रोक लगाने के लिए कर्नाटक नफरती भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक पेश किया है।
यह विधेयक भाजपा और जनता दल (एस) के कड़े विरोध के बावजूद, बेलगावी में 19 दिसंबर को समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया गया। अब इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, ताकि यह विधेयक कानून बन सके।
भाजपा ने इस विधेयक को ‘दमनकारी’, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला’ और ‘राजनीतिक प्रतिशोध के लिए खतरनाक हथियार’ करार देते हुए कर्नाटक के राज्यपाल को पत्र लिखकर विधेयक को मंजूरी न देने का अनुरोध किया है।
सिद्धरमैया ने एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा, ‘इस विधेयक का विरोध केवल वही लोग करेंगे, जो नफरत फैलाने वाले और भड़काऊ भाषण देते हैं। अगर आप ऐसे भाषण नहीं देंगे, तो कोई आपके खिलाफ आपराधिक मामला क्यों दर्ज करेगा?’
जब उनसे पूछा गया कि भाजपा क्यों चिंतित है, तो उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून सभी पर लागू होता है, चाहे वे कांग्रेस, भाजपा, जनता दल(एस) या किसी अन्य पार्टी से हों।
उन्होंने कहा, “आप (भाजपा) इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? क्या समाज में नफरत भरे भाषणों से शांति बनी रहेगी? समाज में शांति और भाईचारा बनाए रखने के लिए यह विधेयक लाया गया है। हाल के दिनों में नफरत भरे भाषणों में वृद्धि हुई है, इसलिए इन्हें रोकने के लिए हमने यह कदम उठाया है।”
जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि भाजपा इस विधेयक का विरोध क्यों कर रही है, तो उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब है कि वे भड़काऊ भाषण दे रहे हैं।’
इस विधेयक में घृणा अपराध के लिए एक वर्ष की कैद की सजा का प्रस्ताव है, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा। बार-बार अपराध करने पर अधिकतम सात वर्ष की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है।
भाषा नोमान दिलीप
दिलीप