कोलकाता, 24 दिसंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को उस अभ्यावेदन पर विचार करने को कहा, जिसमें मांग की गई है कि राज्य में मतदाता सूचियों के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में अमान्य ओबीसी प्रमाण पत्रों को दस्तावेजों के रूप में स्वीकार न किया जाए और एक तर्कसंगत आदेश पारित किया जाये।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अदालत ने मई 2024 के एक फैसले में राज्य में 77 श्रेणियों के लोगों के संबंध में ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द कर दिए थे और उसने आयोग को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति कृष्णा राव ने सीईओ को याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विचार करने और आदेश प्राप्त होने की तिथि से एक सप्ताह के भीतर तर्कसंगत निर्णय देने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने यह पाते हुए मई 2024 में राज्य में 2010 से दिये गये कई वर्गों के लोगों के ओबीसी दर्जे को रद्द कर दिया था, कि राज्य में सेवाओं और पदों में रिक्तियों के लिए इस तरह का आरक्षण कानून के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि निरस्त किए गए वर्गों के उन नागरिकों की सेवाएं, जो पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण के लाभ उठा चुके हैं या राज्य की किसी भी चयन प्रक्रिया में सफल हुए हैं, इस आदेश से प्रभावित नहीं होंगी।
याचिकाकर्ता अरिजीत बख्शी राज्य में एक मतदाता हैं। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया कि राज्य में मतदाता सूची के एसआईआर के लिए गणना प्रपत्र में ओबीसी प्रमाण पत्रों का एक वैध दस्तावेज के रूप में उल्लेख किया गया है।
उनके वकील बिलवदल भट्टाचार्य ने अनुरोध किया कि निर्वाचन आयोग एक शुद्धिपत्र जारी करे जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए गए प्रमाण पत्रों को छोड़कर, केवल वैध ओबीसी प्रमाण पत्रों को ही एसआईआर प्रक्रिया में एक दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए।
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील अनामिका पांडे ने कहा कि मतदाता सूची की एसआईआर की वैधता से संबंधित एक मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए वर्तमान याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति राव ने टिप्पणी की कि याचिका में एसआईआर कवायद की किसी भी प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी गई है और याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायतों पर विचार करने के लिए निर्वाचन आयोग को एक अभ्यावेदन दिया है।
भाषा देवेंद्र दिलीप
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