South Goa MP Francisco Sardinha
बेंगलुरु: Congress Leaders Denied to Contest Lok Sabha Election कर्नाटक में कुछ मंत्रियों और विधायकों के लोकसभा चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताने के बाद कांग्रेस के लिए ‘‘जीतने योग्य’’ उम्मीदवारों की तलाश करना मुश्किल दिखायी दे रहा है। कांग्रेस को सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा किए 10 दिन बीत गए हैं लेकिन बाकी की 21 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। कांग्रेस ने आठ मार्च को जारी अपनी पहली सूची में किसी भी मंत्री तथा विधायक को उम्मीदवार नहीं बनाया था।
Congress Leaders Denied to Contest Lok Sabha Election पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व कुछ मंत्रियों और विधायकों को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उन्हें कई निर्वाचन क्षेत्रों में जीतने योग्य उम्मीदवारों को चुनने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने हाल में कहा था कि पार्टी में सात से आठ मंत्रियों को प्रत्याशी बनाने पर चर्चा की जा रही है।
कुछ मंत्री खुद चुनाव लड़ने के बजाय अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ाने पर जोर दे रहे हैं और सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व उनके परिजनों को प्रत्याशी बनाने से जनता के बीच जाने वाले संदेश को लेकर चिंतित दिखायी दे रहा है। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों या उनके परिवार के सदस्यों को प्रत्याशी बनाने के मुद्दे पर फैसला अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता व सांसद राहुल गांधी समेत पार्टी नेतृत्व को लेना है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने शनिवार को कहा कि उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शनिवार को संपन्न हुई, रविवार को ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं की जनसभा है और 19 मार्च को उम्मीदवारों पर निर्णय लेने के लिए हमारी बैठक है। 19 मार्च की रात या 20 मार्च की सुबह तक हमारे सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी।’’
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस कैबिनेट मंत्रियों एच सी महादेवप्पा को चामराजनगर, के एच मुनियप्पा को कोलार, बी. नागेंद्र को बेल्लारी, सतीश जारकीहोली को बेलगाम, ईश्वर खांद्रे को बिदर और कृष्णा बायरे गौड़ा को बेंगलुरु उत्तर से उम्मीदवार बनाना चाहती है। इनमें से लगभग सभी मंत्रियों ने चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताई है और कुछ ने अपने परिवार के सदस्यों के नामों का सुझाव देते हुए आश्वासन दिया है कि वे उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे।
कांग्रेस ने शुरुआत में मंत्रियों को संभावित उम्मीदवारों का चयन करने का जिम्मा सौंपा था लेकिन शिवकुमार ने कहा था कि उनसे प्राप्त हुई रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था जबकि वह राज्य में जनता दल (सेक्यूलर) के साथ गठबंधन में सत्ता में थी। इसे देखते हुए कई वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की संभावनाएं अब भी आशाजनक नहीं दिख रही हैं।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एम मल्लिकार्जुन खरगे, वीरप्पा मोइली और मुनियप्पा समेत कई शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन शिवकुमार के लिए एक और महत्वपूर्ण परीक्षा है जिन्होंने विधानसभा के कार्यकाल के बीच में सत्ता हस्तांतरण की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा जगजाहिर कर रखी है। भाजपा ने 20 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। उसने अभी तक आठ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है जिनमें से तीन सीट उसके गठबंधन के साझेदार जद(एस) के पाले में जा सकती हैं। कर्नाटक में कुल 28 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा ने 2019 के चुनाव में 25 सीटें जीती थीं जबकि पार्टी द्वारा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। कांग्रेस और जद(एस) ने एक-एक सीट हासिल की थी।