पलामुरु रंगारेड्डी सिंचाई परियोजना की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली पूर्व मंत्री की याचिका खारिज

पलामुरु रंगारेड्डी सिंचाई परियोजना की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली पूर्व मंत्री की याचिका खारिज

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  • Publish Date - May 22, 2025 / 11:02 AM IST,
    Updated On - May 22, 2025 / 11:02 AM IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना के पूर्व मंत्री नागम जनार्दन रेड्डी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें पलामुरु रंगारेड्डी लिफ्ट सिंचाई परियोजना के लिए इलेक्ट्रोमैकेनिकल उपकरणों के मूल्य के आकलन पर कथित धोखाधड़ी की सीबीआई जांच की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने बुधवार को, रेड्डी की याचिका खारिज करने वाले तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

इस परियोजना का उद्देश्य महबूबनगर, रंगारेड्डी, नलगोंडा, नागरकुरनूल, विकराबाद और नारायणपेट जिलों के ऊपरी इलाकों में स्वच्छ, पीने योग्य पानी की आपूर्ति करना है।

सिंचाई परियोजना के लिए भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) के साथ साझेदारी की थी।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि उच्च न्यायालय द्वारा मामले को सीबीआई को सौंपने से इनकार करना उचित था।’’

शीर्ष अदालत ने पाया कि उच्च न्यायालय के समक्ष इसी परियोजना से संबंधित चार अन्य मामले या तो खारिज कर दिए गए या उनका निपटारा कर दिया गया।

रेड्डी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिका में कथित धोखाधड़ी की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

मेघा इंजीनियरिंग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपील की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताई। शीर्ष अदालत ने पहले तेलंगाना सरकार को आकलन से संबंधित मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था और भेल को मेघा इंजीनियरिंग के साथ संयुक्त उद्यम समझौते से संबंधित मूल फाइल पेश करने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत के 18 दिसंबर, 2024 के आदेश में कहा गया है, ‘‘भेल अपने द्वारा बनाए गए और आपूर्ति किए गए उपकरणों और संबंधित परियोजनाओं के लिए प्राप्त भुगतान के विवरण के बारे में एक हलफनामा दायर करेगा।’’

रेड्डी ने भेल और एमईआईएल के बीच संयुक्त उद्यम को दिए गए अनुबंध के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि इससे सरकारी खजाने को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।

उन्होंने दावा किया कि राज्य ने ‘धोखे से परियोजना में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों के मूल्य को 5,960 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 8,386 करोड़ रुपये कर दिया।’

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा