नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व प्रमुख ई अबूबकर की उस याचिका पर आदेश मंगलवार को सुरक्षित रख लिया, जिसमें उसने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के एक मामले में रिहायी का अनुरोध किया है। इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा की जा रही है।
अबूबकर को जांच एजेंसी ने 2022 में प्रतिबंधित संगठन के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था और वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है। अबूबकर ने गुणदोष के साथ ही चिकित्सा आधार पर जमानत दिये जाने का अनुरोध किया है।
अबूबकर और एनआईए की ओर से पेश वकील द्वारा अपनी दलीलें पूरी किये जाने के बाद न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने कहा, ‘ (दलीलें) सुनी। फैसला सुरक्षित रखा जाता है।’
एनआईए के अनुसार, पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी कृत्यों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के वास्ते एक आपराधिक साजिश रची और इस उद्देश्य के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहे थे।
अबूबकर की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत उसके खिलाफ एनआईए के मामले का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी की उम्र 70 वर्ष से अधिक है और उसका कैंसर का उपचार हुआ है और वह पार्किंसंस रोग से भी पीड़ित है। उसके वकील ने कहा कि अबूबकर हिरासत के दौरान कई बार एम्स गया।
एनआईए के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह दिखाने के लिए साक्ष्य उपलब्ध है कि अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कैडर को प्रशिक्षित करने के वास्ते शिविरों का आयोजन किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि अबूबकर के खिलाफ कई मामले थे और यदि उसे रिहा किया गया तो कोई भी उसके खिलाफ गवाही नहीं देगा।
अदालत को यह भी बताया गया कि आरोपी का जेल में रहने के दौरान उपचार किया जा रहा है।
भाषा अमित रंजन
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