नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा ‘स्नाइपर राइफल’ और गोलाबारूद की आपूर्ति करने के लिए एक कंपनी की ओर से जमा निविदा खारिज करने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि निर्णय उचित और तार्किक था।
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने एक जुलाई को स्टम्प शूले लुईस मशीन टूल्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें तकनीकी पक्षपात और प्रतिद्वंद्वी बोली लगाने वालों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को क्षेत्र में अपने हथियार की उपयोगिता साबित करने के लिए दूसरा मौका सहित पर्याप्त अवसर दिया गया था, और वह इस परीक्षण में किसी भी गड़बड़ी को इंगित नहीं कर सका।
न्यायालय ने कंपनी की इस दलील को खारिज कर दिया कि मौसम की स्थिति या मरीचिका प्रभाव के कारण याचिकाकर्ता असफल हुआ तथा कहा कि तीसरी बार सुनवाई की अनुमति देने से खरीद प्रक्रिया कमजोर होगी तथा एक गलत नजीर कायम होगी।
पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि प्रतिवादी संख्या- 2 (सीआरपीएफ महानिदेशालय) द्वारा 27 मार्च, 2025 के अस्वीकृति पत्र के माध्यम से याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित करने का निर्णय मनमाना, अनुचित या अतार्किक नहीं था, क्योंकि याचिकाकर्ता जमीनी परीक्षण में किसी भी गड़बड़ी इंगित करने में असमर्थ था।’’
अदालत ने कहा कि बोली लगाने वाले सभी पहले से ही परीक्षण पद्धति पर सहमति व्यक्त कर चुके थे, तथा याचिकाकर्ता की आपत्तियां परीक्षण में असफल होने के बाद ही सामने आईं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें बाद में उठाया गया कदम माना गया।
कंपनी ने उसे अरोग्य करार दिये जाने के फैसले की आलोचना की।
यह मामला 24 सितंबर, 2024 को सीआरपीएफ द्वारा जारी निविदा से जुड़ा है, जिसमें .338 लापुआ मैग्नम युक्त 200 स्नाइपर राइफल और 20,000 कारतूस की खरीद की बात कही गई थी।
भाषा धीरज प्रशांत
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