2016 के सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए पीड़ित को 8.2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए: अदालत

2016 के सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए पीड़ित को 8.2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए: अदालत

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  • Publish Date - June 15, 2025 / 07:07 PM IST,
    Updated On - June 15, 2025 / 07:07 PM IST

नयी दिल्ली, 15 जून (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2016 में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए एक व्यक्ति को 8.2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देते हुए कहा कि कोई भी धनराशि उस मानसिक आघात को नहीं मिटा सकती, लेकिन मुआवजे के रूप में दी गई राशि पीड़ित को कुछ हद तक राहत और पुनर्वास का भरोसा जरूर दिला सकती है।

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) की पीठासीन अधिकारी शैली अरोड़ा अखलाक अली के दावे की सुनवाई कर रही थीं। अली ने कहा था कि आठ अप्रैल, 2016 को यातायात नियमों का उल्लंघन कर तेज गति से जा रहीं दो मोटरसाइकिलों ने पीछे से उन्हें टक्कर मार दी थी जिससे उन्हें चोटें आईं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

अदालत ने कहा कि चोटें गंभीर प्रकृति की थीं और याचिकाकर्ता के बाये ऊपरी अंग में छह प्रतिशत स्थायी शारीरिक दिव्यांगता हो गयी।

अदालत ने चार जून के अपने आदेश में कहा, ‘‘गवाह ने इस बात से साफ इनकार किया है कि वह सड़क पार कर रहा था या यातायात पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहा था या अपने मोबाइल फोन पर व्यस्त था और इसलिए दुर्घटना से बच नहीं सका अथवा उसने ईयरफोन लगा रखा था, इसलिए वह दो मोटरसाइकिल सवारों की आवाज नहीं सुन सका या वह नशे में था या उसने कोई दवा ले रखी थी जिससे उसकी सतर्कता कम हो गई।’’

अदालत ने कहा कि अली से जिरह किये जाने पर कोई विरोधाभास सामने नहीं आया।

अदालत ने अली के बयान पर गौर किया कि पूरी सड़क से करीब 10 मोटरसाइकिलें गुजर रही थीं और उनमें से दो सड़क के किनारे आ गईं एवं एक-दूसरे से टकराने के बाद पीछे से उससे टकरा गईं।

अदालत ने कहा, ‘‘दुर्घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज एकत्र की गई थी या नहीं, इसे घायलों के खिलाफ नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह मुख्य रूप से जांच अधिकारियों का काम था।’’

अदालत ने उसके समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों पर गौर करते हुए कहा कि यह साबित हो गया है कि दोनों मोटरसाइकिलें लापरवाही से चलाई जा रही थीं।

अदालत ने कहा, ‘‘वैसे तो कोई भी धनराशि या अन्य भौतिक मुआवजा किसी गंभीर दुर्घटना के बाद पीड़ित को होने वाले आघात, दर्द और पीड़ा को मिटा नहीं सकता है (या किसी प्रियजन की क्षति की भरपाई नहीं कर सकता है), लेकिन मौद्रिक मुआवजा कानून में ज्ञात तरीका है, जिसके तहत समाज जीवित बचे लोगों और अपने जीवन का सामना करने वाले पीड़ितों को कुछ हद तक क्षतिपूर्ति का दिलासा देता है।’’

अदालत ने विभिन्न मदों के तहत लगभग 8.20 लाख रुपये के कुल मुआवजे की गणना की, जिसमें चिकित्सा उपचार पर व्यय और आय की हानि के कारण आर्थिक नुकसान, भविष्य की आय के गैर-आर्थिक नुकसान, जीवन की सुविधाएं और मानसिक और शारीरिक आघात, दर्द और पीड़ा के लिए मुआवजा शामिल है।

उसने बीमा कंपनियों– आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजे की राशि जमा करने का निर्देश दिया।

भाषा राजकुमार प्रशांत

प्रशांत