केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने दी मंजूरी, जल्द बनेगा हाथी अभयारण्य…

केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने दी मंजूरी, जल्द बनेगा हाथी अभयारण्य : Elephant sanctuary expected to come up in Up Terai region soon: Official

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  • Publish Date - October 22, 2022 / 12:14 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:10 PM IST

लखीमपुर खीरी । उत्तर प्रदेश के तराई इलाके में हाथी अभयारण्य बनाने की प्रक्रिया जल्द पूरी हो सकती है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। हाथी परियोजना के निदेशक और केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय में वन महानिरीक्षक रमेश पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने शुक्रवार को दुधवा बाघ अभयारण्य रिजर्व (डीटीआर) और पीलीभीत बाघ अभयारण्य (पीटीआर) सहित उत्तर प्रदेश के तराई में 3049.39 वर्ग किलोमीटर इलाके में तराई हाथी अभयारण्य (टीईआर) की स्थापना को मंजूरी दे दी है।

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उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही राज्य में तराई हाथी अभयारण्य (तराई हाथी अभयारण्‍य) की घोषणा के लिए अधिसूचना जारी करेगी। उल्लेखनीय है कि हाथी परियोजना के राष्ट्रीय प्रमुख के रूप में रमेश पांडेय ने डीटीआर अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई थी और इस साल मार्च में टीईआर के लिए एक सैद्धांतिक सहमति दी थी और इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार से एक विस्तृत प्रस्ताव मांगा था। डीटीआर के फील्ड निदेशक संजय पाठक ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस संबंध में एक प्रस्ताव पिछले अप्रैल में तैयार किया गया था और बाद में राज्य से 11 अक्टूबर को केंद्र सरकार को भेजा गया था।

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उन्होंने बताया कि प्रस्तावित टीईआर के अस्तित्व में आने के साथ दुधवा बाघ अभयारण्य (डीटीआर) उत्तर प्रदेश का अकेला राष्ट्रीय उद्यान होगा जो चार प्रतिष्ठित जंगली प्रजातियों- बाघ, एक सींग वाले गैंडे, एशियाई हाथी और दलदली हिरण की रक्षा और संरक्षण करेगा। रमेश पांडेय ने बताया कि नए हाथी अभयारण्य में पीलीभीत बाघ अभयारण्य (पीटीआर), दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (डीएनपी), किशनपुर वन्यजीव अभ्यारण्य (केडब्ल्यूएस), कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य (केजीडब्ल्यूएस), दुधवा बफर जोन और दक्षिण खीरी वन प्रभाग के कुछ हिस्से शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि ‘तराई हाथी अभयारण्य की स्थापना विशेष रूप से एशियाई हाथियों के वन्यजीव संरक्षण के मामले में एक मील का पत्थर होगी क्योंकि यह भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, जहां सीमा पार से हाथियों की नियमित आवाजाही है।’

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उन्‍होंने कहा, ‘टीईआर के साथ, केंद्र सरकार हाथी परियोजना के तहत सभी वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करेगी, जो मानव-हाथी संघर्षों से निपटने में मदद करेगी।’ संजय कुमार पाठक ने बताया कि ‘दुधवा में हाथी अभयारण्य की स्थापना से उनके संरक्षण के प्रति हाथी केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिलेगी। दुधवा बाघ अभयारण्य ने दशकों से विभिन्न घरेलू और सीमा पार गलियारों के माध्यम से जंगली हाथियों को हमेशा आकर्षित किया है, जिसमें बसंता-दुधवा कॉरिडोर, लालझड़ी (नेपाल) – साथियाना कॉरिडोर, शुक्लाफांटा (नेपाल) -ढाका-पीलीभीत-दुधवा बफर ज़ोन कॉरिडोर शामिल हैं।