पायलट के साथ संबंधों पर बोले गहलोत: ‘हम लोग दूर कब थे’

पायलट के साथ संबंधों पर बोले गहलोत: ‘हम लोग दूर कब थे’

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  • Publish Date - June 11, 2025 / 05:13 PM IST,
    Updated On - June 11, 2025 / 05:13 PM IST

जयपुर, 11 जून (भाषा) राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के साथ अपने रिश्तों में किसी तरह की खटास की अटकलों को खारिज करते हुए बुधवार को कहा, ‘दूर कब थे हम लोग? हम कभी दूर थे ही नहीं।’

उन्होंने यह भी कहा कि प्यार मोहब्बत हमेशा बनी रहती है… बनी रहेगी।

गहलोत की इस टिप्पणी को कांग्रेस के इन दो दिग्गज नेताओं के रिश्तों पर वर्षों से जमी बर्फ पिघलने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

दरअसल गहलोत बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर भड़ाना (दौसा) में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। इस अवसर पर संवाददाताओं के सवाल पर उन्होंने यह टिप्पणी की।

इस अवसर पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा हुई और राजेश पायलट के योगदान से जुड़ी प्रदर्शनी भी लगाई गई।

कार्यक्रम में कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पार्टी के कई सांसद और विधायक, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और पार्टी पदाधिकारी शामिल हुए।

राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता और स्थानीय लोग मौजूद थे।

भीड़ भरे कार्यक्रम स्थल पर पत्रकारों ने गहलोत से पूछा कि दोनों नेताओं के फ‍िर करीब आने के पीछे क्या संदेश है। गहलोत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘दूर कब थे हम लोग? आपको लगता है … हम दूर कब थे? कभी दूर थे ही नहीं। प्रेम मोहब्बत हमेशा बनी रहती है। बनी रहेगी।”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने जब यह टिप्पणी की तो पायलट के साथ-साथ पार्टी के दूसरे नेता भी वहीं थे।

राजेश पायलट को याद करते हुए गहलोत ने कहा कि वह और पायलट संसद में साथ-साथ थे और किसानों व गरीबों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आज भी याद की जाती है।

गहलोत ने कहा, “आज हम उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। लोगों का उत्साह देखिए। युवा भी आए हैं और बुजुर्ग भी। जिन्होंने उनके साथ काम किया है वे भी आए हैं। जिन्होंने उनके बारे में सुना है वे भी आए हैं। यह सभा अपने आप में संदेश देती है कि उनका व्यक्तित्व कैसा था। मैंने उनके साथ काम किया है और उस समय की यादें भी आज ताजा हो गई हैं।”

इस अवसर पर सचिन पायलट ने कहा कि उनके पिता ने भारतीय वायुसेना और बाद में राजनीति में रहते हुए देश की सेवा की।

उन्होंने कहा, “मुझे उनपर बड़ा फख्र है। उन्होंने फौज और फिर राजनीति में रहते हुए बड़े आयाम स्थापित किए। बड़े पदों पर बैठकर भी इंसान अपना दामन साफ रख सकता है। गरीब परिवार में पैदा होकर भी इंसान ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।”

उन्होंने कहा, ‘उन्हें हमसे जुदा हुए 25 साल हो गए लेकिन आज भी मुझे लगता है कि वह मेरे साथ ही हैं। उनका काम करने का तरीका और लगन हमारे लिए आदर्श है। मुझे उम्मीद है कि आने वाली पीढ़ी उनके जीवन से सबक लेगी।”

उन्होंने कहा, ‘मैं गर्व से कह सकता हूं कि पायलट साहब लोगों को जोड़ने वाले नेता थे। उन्होंने लोगों को जोड़ा और दूरियां कम कीं। कांग्रेस पार्टी के माध्यम से देश की सेवा की। आज हम सब उन्हें याद करते हैं।’

प्रदर्शनी के अवलोकन के दौरान सचिन पायलट भी गहलोत के साथ थे।

राजेश पायलट की 11 जून 2000 को दौसा में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

उस समय वह दौसा के सांसद थे। उनकी पुण्यतिथि पर सचिन पायलट की ओर से हर साल दौसा में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

सचिन पायलट हाल ही में गहलोत को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने उनके आवास पर गए थे।

उल्लेखनीय है कि गहलोत व पायलट में रिश्‍ते पिछले कुछ वर्षों में सामान्‍य नहीं रहे हैं।

दरअसल दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने पर गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए रस्साकशी शुरू हो गई थी। हालांकि इसमें गहलोत ने बाजी मार ली और वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। उस समय कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

साल 2020 में पायलट ने कुछ कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

इससे राज्य में एक महीने तक सियासी संकट बना रहा जो पार्टी आलाकमान द्वारा पायलट द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करने के आश्वासन के बाद समाप्त हुआ। पायलट व 18 अन्य विधायकों के ‘विद्रोह’ के बाद गहलोत ने सचिन के लिए ‘गद्दार’, ‘नकारा’ और ‘निकम्मा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया और उन पर राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश में भाजपा नेताओं के साथ शामिल होने का आरोप लगाया।

इस सियासी संकट के दौरान ही पायलट को उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा।

इसके बाद सितंबर 2022 में मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित करते हुए पार्टी आलाकमान को राज्य नेतृत्व में बदलाव क बारे में निर्णय करने के लिए अधिकृत किया जाना था।

उस समय गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में माना जा रहा था। हालांकि, यह बैठक नहीं हो सकी। बल्कि तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर एक समानांतर बैठक हुई जिसमें कई कांग्रेस विधायकों ने पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाने के पार्टी आलाकमान के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए।

अप्रैल 2023 में पायलट ने तत्कालीन गहलोत सरकार के खिलाफ एक तरह से एक और मोर्चा खोलते हुए पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर जयपुर के शहीद स्मारक पर उपवास रखा था।

भाषा पृथ्वी

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