Union Health Minister issues notice to 71 pharmaceutical companies
नई दिल्ली। QR code mandatory: केंद्र सरकार ने दवा ब्रांडों के लिए प्रामाणिकता और पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए क्यूआर कोड पेश करने का फैसला लिया है। इस साल जून में जारी मसौदा अधिसूचना को अब अंतिम रूप दिया गया है। इस फैसले से पहले दवा निर्माता कंपनियों ने इसे लागू करने के लिए 18 महीने का समय मांगा था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लागू करने के लिए Drug and Cosmetics Act, 1940 में आवश्यक संशोधन किए हैं।
QR code mandatory: मार्च में मंत्रालय ने डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स (डीओपी) से दवा ब्रांडों को शॉर्टलिस्ट करने को कहा था जिन्हें अनिवार्य क्यूआर कोड के कार्यान्वयन के लिए शामिल किया जा सकता है। इस क्यूआर कोड में दवा का उचित और सामान्य नाम, ब्रांड नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच संख्या, मैन्यूफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट और विनिर्माण लाइसेंस संख्या शामिल होगी। वहीं इस साल की शुरुआत में केंद्र ने कहा था कि सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) या थोक दवाएं जो भारत में आयातित पर निर्मित होती हैं, प्रत्येक स्तर पर इसके लेबल पर एक क्यूआर कोड होगा। फार्मा कंपनियों ने कहा था कि यह एक अच्छा कदम है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ शुरुआती चुनौतियां होंगी।
दवा निर्माता कंपनियों को QR कोड लगाना अनिवार्य होगा
Schedule H2 / QR कोड लगाना होगा
QR में Unique Identification कोड होगा
दवा का नाम और Generic नाम बताना होगा
ब्रांड और निर्माता की जानकारी
बैच नंबर अनिवार्य होगा
उत्पादन और Expiry की तारीख बताना होगा
लाइसेन्स की जानदारी देनी होगी
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QR code mandatory: इस क्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) नकली दवाओं को लेकर चिंता जताई थी। डब्ल्यूएचओ के पहले के एक अनुमान के अनुसार वैश्विक स्तर पर बेची जाने वाली नकली दवाओं में से लगभग 35 प्रतिशत भारत से आती हैं।